भारत में संविधान लागू होने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में एक ऐतिहासिक भाषण दिया। इस अवसर पर उन्होंने संविधान के महत्व को रेखांकित करते हुए देश की प्रगति और विकास में इसके योगदान पर चर्चा की। साथ ही उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार पर तीखा हमला करते हुए उनके कार्यकाल के दौरान संविधान के उल्लंघन और नुकसान के उदाहरण प्रस्तुत किए। प्रधानमंत्री ने देश के उज्जवल भविष्य के लिए 11 प्रतिज्ञाएँ भी पेश कीं, जो भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में मार्गदर्शक सिद्ध होंगी।
नेहरू-गांधी परिवार पर प्रधानमंत्री का हमला
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में नेहरू-गांधी परिवार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह परिवार संविधान का सबसे बड़ा उल्लंघनकर्ता रहा है। उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तक की सरकारों के दौरान किए गए संवैधानिक संशोधनों का उल्लेख किया।
नेहरू युग की शुरुआत
मोदी ने कहा, “नेहरूजी ने संविधान के प्रावधानों का सम्मान किए बिना प्रेस की स्वतंत्रता को नियंत्रित करने के लिए पहला संवैधानिक संशोधन किया।” उन्होंने आगे बताया कि नेहरू ने मुख्यमंत्रियों से कहा था, “संविधान को बाधा बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती और यदि यह हमारे रास्ते में आता है तो इसे दरकिनार कर देना चाहिए।”
इंदिरा गांधी का आपातकाल
प्रधानमंत्री ने आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय बताया। उन्होंने कहा, “इंदिरा गांधी ने सत्ता में बने रहने के लिए लोकतंत्र को निलंबित कर दिया और हजारों लोगों को जेल में डाल दिया। यह कांग्रेस के शासन पर ऐसा धब्बा है जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकता।”
राजीव गांधी और शाह बानो मामला
मोदी ने शाह बानो मामले का भी उल्लेख किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए राजीव गांधी ने कानून बनाया। उन्होंने कहा, “यह वोट बैंक की राजनीति का सबसे बड़ा उदाहरण था, जहां गरीब औरत के साथ न्याय की उपेक्षा की गई।”
राहुल गांधी पर तंज
प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी द्वारा कैबिनेट के फैसले को फाड़ने और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को “रबर स्टैंप” के रूप में पेश करने की घटनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल जैसे सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय को परिवार की मर्जी के आगे झुकना पड़ा।”
प्रधानमंत्री की 11 परिवर्तनकारी प्रतिज्ञाएँ
प्रधानमंत्री मोदी ने संविधान को मार्गदर्शक मानते हुए भारत के भविष्य के लिए 11 महत्वपूर्ण प्रतिज्ञाएँ पेश कीं। ये प्रतिज्ञाएँ देश के हर नागरिक को समर्पित हैं और भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के उद्देश्य से तैयार की गई हैं।
1. कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री ने नागरिकों और सरकार को अपने कर्तव्यों का पालन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सामाजिक विकास और सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए सभी को ईमानदारी और समर्पण के साथ काम करना चाहिए।
2. समावेशी विकास
“सबका साथ, सबका विकास” के मूल मंत्र को अपनाते हुए प्रधानमंत्री ने हर क्षेत्र और समुदाय को विकास का लाभ पहुंचाने पर जोर दिया।
3. भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहनशीलता
प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार को समाज का सबसे बड़ा शत्रु बताते हुए इसे समाप्त करने और इसे सामाजिक रूप से अस्वीकार्य बनाने का आह्वान किया।
4. राष्ट्रीय परंपराओं का सम्मान
प्रधानमंत्री ने नागरिकों से भारत की परंपराओं, कानूनों और नियमों को गर्व और सम्मान के साथ अपनाने की अपील की।
5. संवैधानिक पवित्रता
संविधान को एक पवित्र मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में मानते हुए प्रधानमंत्री ने इसे राजनीतिक लाभ के लिए दुरुपयोग न करने की चेतावनी दी।
6. वंशवादी राजनीति का अंत
प्रधानमंत्री ने भारत को वंशवादी राजनीति से मुक्त करने और “परिवारवाद” को समाप्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
7. न्यायसंगत आरक्षण
आरक्षण का लाभ उन्हीं लोगों तक पहुंचना चाहिए जिन्हें वास्तव में इसकी आवश्यकता है। धर्म के आधार पर आरक्षण से बचने की अपील की गई।
8. औपनिवेशिक मानसिकता का त्याग
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीयों को औपनिवेशिक मानसिकता छोड़कर अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करना चाहिए।
9. सहयोगात्मक विकास
प्रधानमंत्री ने राज्यों और केंद्र के बीच सहयोगात्मक प्रयासों पर जोर दिया ताकि पूरे देश का विकास सुनिश्चित हो सके।
10. महिला सशक्तिकरण
प्रधानमंत्री ने महिलाओं को समाज में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने और सशक्त बनाने के लिए प्रेरित किया।
11. विविधता में एकता
“एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की परिकल्पना को साकार करने के लिए सभी नागरिकों को प्रेरित करने की बात कही गई।
विज़न 2047: एक विकसित भारत
प्रधानमंत्री मोदी ने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, “हम, भारत के लोग” की भावना के तहत हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह आत्मनिर्भर, समावेशी और प्रगतिशील भारत के निर्माण में योगदान दे।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह भाषण न केवल संविधान के महत्व को दर्शाता है बल्कि भारत को भविष्य की राह दिखाने वाली प्रतिज्ञाओं से भी भरपूर है। यह भाषण भारत के नागरिकों को प्रेरित करता है कि वे संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें और देश को एक सशक्त और विकसित राष्ट्र बनाने में योगदान दें।