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Valmiki Jayanti 2024: मरा-मरा जपने से रत्नाकर कैसे बने वाल्मीकि ? जानें जन्म से जुड़ी प्रचलित कथा

Valmiki Jayanti 2024: वाल्मीकि जयंती हर साल आश्विन महीने की पूर्णिमा को मनाई जाती है, और इस साल यह 17 अक्टूबर को है। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण लिखी थी और उन्हें संस्कृत के महान कवि माना जाता है। 

ऐसा कहा जाता है कि वाल्मीकि जी पहले एक डाकू थे, जो जंगल में लोगों को लूटते थे। बाद में ऋषि नारद से मिले ज्ञान के बाद उन्होंने भगवान की भक्ति में कठोर तपस्या की। तप के दौरान उनके शरीर पर दीमक का घर बन गया था, इसलिए उनका नाम “वाल्मीकि” पड़ा। तपस्या से उन्होंने अपने पुराने पापों का प्रायश्चित किया और महान ऋषि बन गए।

Valmiki Jayanti 2024: कैसे नाम पड़ा वाल्मीकि ?

एक बार जब नारद मुनि जंगल से गुजर रहे थे, तो रत्नाकर ने उनसे लूटने की कोशिश की। नारद मुनि ने रत्नाकर से पूछा कि वे ऐसा क्यों करते हैं। रत्नाकर ने बताया कि वह अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए यह सब कर रहे हैं। नारद मुनि ने फिर पूछा कि क्या उसका परिवार उसके पापों का फल भोगने को तैयार है। जब रत्नाकर ने अपने परिवार से पूछा, तो सभी ने मना कर दिया। इस घटना के बाद, रत्नाकर ने अपने गलत काम छोड़ दिए और भगवान राम का नाम जपने लगे। 

कई सालों की कठोर तपस्या के बाद, उनके शरीर पर दीमकों ने इतनी परत बना दी कि उन्हें “वाल्मीकि” नाम मिला। इस तरह, रत्नाकर ने अपनी ज़िंदगी में एक बड़ा बदलाव किया और एक महान ऋषि बने।

Valmiki Jayanti 2024: कैसे दी गई वाल्मीकि की उपाधि

एक अन्य कथा के अनुसार, प्रचेता नाम के एक ब्राह्मण के पुत्र, उनका जन्म रत्नाकर के रूप में हुआ था, जो कभी डकैत थे। नारद मुनि से मिलने से पहले उन्होंने कई निर्दोष लोगों को मार डाला और लूट लिया, जिन्होंने उन्हें एक अच्छे इंसान और भगवान राम के भक्त में बदल दिया। वर्षों के ध्यान अभ्यास के बाद वह इतना शांत हो गया कि चींटियों ने उसके चारों ओर टीले बना लिए। नतीजतन, उन्हें वाल्मीकि की उपाधि दी गई, जिसका अनुवाद “एक चींटी के टीले से पैदा हुआ” है।

Valmiki Jayanti 2024: जानें वाल्मीकि से जुड़े कुछ खास बातें 

  • वाल्मीकि जी को आदि कवि भी कहा जाता है।
  •  वाल्मीकि जी का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी के घर हुआ था।
  • बचपन में ही उनका पालन-पोषण भील समाज में हुआ था।
  • बचपन में उनका नाम रत्नाकर था और वे परिवार के पालन-पोषण के लिए लूट-पाट करते थे।
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