Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि का पर्व पूरे देश में उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है, और इस दौरानमाता रानी के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के चौथे दिन की पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिनदेवी कुष्मांडा की आराधना की जाती है। देवी कुष्मांडा कोआदिशक्ति के रूप में माना जाता है और उनका विशेष स्थानसूर्य मंडल के भीतर है।
माना जाता है कि देवी कुष्मांडा ही एकमात्र ऐसी देवी हैं जो सूर्य के तेज और ताप को सहन कर सकती हैं और वहीं निवास कर सकती हैं। उनके इस स्वरूप को लेकर मान्यता है कि जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था, तब देवी कुष्मांडा ने अपनीमंद मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी, और इस कारण से उन्हें “कुष्मांडा” कहा जाता है, जिसका अर्थ है—कुम्हड़ा (कद्दू)। यह सब्जी देवी को विशेष रूप से प्रिय है और इसे प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है।
देवी कुष्मांडा की उपासना से भक्तों को स्वास्थ्य, समृद्धि और उन्नति की प्राप्ति होती है। उन्हेंसूर्य की शक्ति औरउर्जा का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि के इस दिन लोग देवी से अपने जीवन में सकारात्मकता, जीवन शक्ति और आंतरिक बल प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं।
Shardiya Navratri 2024: कैसा है मां का स्वरूप
भागवत् पुराण के अनुसार, देवी कुष्मांडा के अंगों की कांति सूर्य के समान ही उज्जवल है। माना जाता है कि देवी कूष्मांडा के प्रकाश से ही दसों दिशाएं प्रकाशित होती हैं। माता कुष्मांडा के स्वरूप की बात करें तो, इनकी आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। माता ने अपने आठों हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृत से भरा कलश, गदा, चक्र और जपमाला धारण किया हुआ है। मां कुष्मांडा का वाहन सिंह है। सृष्टि निर्माण के समय माता कूष्मांडा ने अपनी मंद हंसी से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ती की इसिलए इनका नाम कूष्मांडा पड़ा।
Shardiya Navratri 2024: देवी कूष्मांडा की कथा
देवी पुराण के अनुसार, सृष्टि के जन्म से पहले अंधकार का साम्राज्य था। उस समय आदिशक्ति जगदम्बा देवी, कूष्मांडा के रुप में सृष्टि की रचना के लिए जरूरी चीजों को संभालकर सूर्य मण्डल के बीच में विराजमान थी। जब सृष्टि रचना का समय आया तो इन्होंने ही ब्रह्मा विष्णु और शिव जी की रचना की। इसके बाद सत्, रज और तम गुणों से तीन देवियों को उत्पन्न किया जो सरस्वती, लक्ष्मी और काली के रूप में पूजी जाती हैं। सृष्टि चलाने में सहायता प्रदान करने के लिए ही देवी काली भी प्रकट हुईं। आदि शक्ति की कृपा से ही ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता बने और विष्णु पालनकर्ता, वहीं शिव संहारकर्ता बनें।
Shardiya Navratri 2024: क्योंकि जाती है चौथे दिन कूष्मांडा देवी की पूजा
पुराणों के अनुसार, तारकासुर के आतंक से जगत को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शिव के पुत्र का जन्म होना जरूरी था। इसलिए भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया। इसके बाद देवताओं ने देवी पार्वती से तारकासुर से मुक्ति के लिए प्रार्थना की, तो माता ने आदिशक्ति का रुप धारण किया और बताया कि जल्दी ही कुमार कार्तिकेय का जन्म होगा जो तारकासुर का वध करेगा।
माता का आदिशक्ति रुप देखकर देवताओं की शंका और चिंताओं का निदान हो गया। इस रुप में मां भक्तों को यह संदेश देती हैं कि जो भी मां कूष्मांडा का ध्यान और पूजन करेगा उसकी सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी। यही वजह है कि नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा का विधान है।
Shardiya Navratri 2024: माता कूष्मांडा का ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।
कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥