Sagar Parikrama: इंडियन नेवी की दो महिला अधिकारी लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा और लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना ने गोवा से सागर परिक्रमा का सफर शुरू किया है। यह यात्रा नाविका सागर परिक्रमा-2 के तहत की जा रही है, जिसे नेवी चीफ एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने झंडा दिखाकर रवाना किया।
यह यात्रा आईएनएसवी तारिणी नाम की 17 मीटर लंबी और 5 मीटर चौड़ी नाव पर की जा रही है। इस अभियान का उद्देश्य न केवल समंदर के रास्ते दुनिया की यात्रा करना है, बल्कि यह भारतीय महिलाओं की क्षमता और साहस को भी दर्शाता है।
इस तरह के अभियानों से यह संदेश मिलता है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं और वे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी अपनी क्षमताओं को साबित कर सकती हैं। इस सागर परिक्रमा का महत्व केवल एक साहसिक यात्रा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय नौसेना के विकास और महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक भी है।
Sagar Parikrama: वेदर कंडीशन का करना पड़ेगा से सामना
दिलना और रूपा 8 महीनों तक समंदर में हवा की गति के सहारे ही नाव को चलाकर 21,600 नॉटिकल माइल्स का सफर पूरा करेंगी। इस दौरान उनका हाई सी, एक्सट्रीम वेदर कंडीशन से सामना होगा और यह ह्यूमन एंडयोरेंस की परीक्षा भी होगी।
नाविका सागर परिक्रमा-2 इंडियन नेवी के सरकम नेविगेशन अभियान का दूसरा संस्करण है। इससे पहले, 2017 में नेवी की छह महिला अधिकारियों ने पहली बार सरकम नेविगेशन (समुद्री रास्ते से दुनिया का चक्कर लगाना) सफलतापूर्वक पूरा किया था। सरकम नेविगेशन में कुछ विशिष्ट मानकों का पालन करना जरूरी होता है, जिसमें शामिल हैं:
1. सफर की शुरुआत और अंत उसी पोर्ट पर होना चाहिए, जहां से यात्रा शुरू हुई हो।
2. किसी कनाल या स्ट्रैट से गुजरने की अनुमति नहीं होती, यानी सभी रास्ते समुद्र के खुले जल से होने चाहिए।
3. इक्वेटर को कम से कम दो बार पार करना अनिवार्य है।
4. यात्रा की कुल दूरी कम से कम 21,600 नॉटिकल माइल्स (करीब 40,100 किलोमीटर) होनी चाहिए।
5. तीन प्रमुख केप्स—ऑस्ट्रेलिया का केप ल्यूवेन, साउथ अमेरिका का केप होर्न, और साउथ अफ्रीका का केप ऑफ गुड होप्स—से गुजरना आवश्यक है।
6. साथ ही, इंटरनेशनल डेट लाइन को भी पार करना अनिवार्य होता है।
Sagar Parikrama: यात्रा होगी बेहद कठोर
यह अभियान अत्यधिक चुनौतीपूर्ण होता है और इसके लिए उत्कृष्ट कौशल, शारीरिक फिटनेस और मानसिक सतर्कता की आवश्यकता होती है। नेवी की महिला अधिकारी इस कठिन यात्रा के लिए कठोर प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी हैं और उन्होंने समुद्र में हजारों मील का अनुभव प्राप्त किया है।
इस तरह की यात्रा समुद्र में मौसम की अनिश्चितताओं और अन्य जोखिमों से भरी होती है, लेकिन यह भारतीय नौसेना के समर्पण और साहस को दर्शाती है, साथ ही महिला सशक्तिकरण का भी प्रतीक है।