मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने आज मनेंद्रगढ़ जिला कलेक्टर कार्यालय परिसर में वन विभाग द्वारा आयोजित “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत वन महोत्सव का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने मियावाकी पद्धति से पौधारोपण कर वन महोत्सव का उद्घाटन किया और जिले में पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर दिया।
मियावाकी पद्धति: एक नया आयाम
इस कार्यक्रम में वनमंडलाधिकारी मनीष कश्यप ने मियावाकी पद्धति की जानकारी दी, जो आजकल बड़े शहरों में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इस पद्धति के माध्यम से सघन वृक्षारोपण किया जाता है, जिसमें एक-एक मीटर की दूरी पर पेड़ लगाए जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप घने वन क्षेत्र का निर्माण होता है, जो कार्बन डाइऑक्साइड और वायु प्रदूषण को सोखने में सक्षम होता है।
स्वस्थ पर्यावरण के लिए पौधारोपण आवश्यक
मंत्री जायसवाल ने जिले के नागरिकों, जनप्रतिनिधियों, और छात्रों को अधिक से अधिक पौधारोपण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जिले में इस बार अच्छी बारिश हुई है, जो पौधारोपण के लिए अनुकूल है। साथ ही, उन्होंने वनमंडलाधिकारी को जिले में पौधारोपण कार्यक्रम को मिशन मोड में लाने का निर्देश दिया ताकि आने वाली पीढ़ी को शुद्ध और स्वच्छ हवा मिल सके।
“एक पेड़ मां के नाम” अभियान का महत्व
उन्होंने “एक पेड़ मां के नाम” अभियान की प्रशंसा करते हुए बताया कि इसका उद्देश्य पर्यावरण और जलवायु को बेहतर बनाना है। इस अभियान के तहत पौधारोपण केवल वनक्षेत्र में ही नहीं, बल्कि आंगनबाड़ी, पुलिस चौकी, उद्यान, अस्पताल, शमशान, शासकीय परिसर, और स्कूलों में भी किया जाएगा।
भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्यावरण संरक्षण
कार्यक्रम के अंत में, मंत्री जायसवाल ने कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए वृक्षारोपण आवश्यक है। उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे इस अभियान में भाग लेकर इसे सफल बनाएं और अपनी धरती को हरा-भरा रखें।
निष्कर्ष
यह कार्यक्रम जिले में पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक महत्वपूर्ण कदम है। मियावाकी पद्धति जैसे नवाचारों के माध्यम से, जिले में मिनी फॉरेस्ट का निर्माण किया जा सकता है, जो न केवल पर्यावरण को संरक्षित करेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ वातावरण भी प्रदान करेगा।