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Navratri 2024: नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की करें पूजा, पढ़े मंत्र और लगाएं प्रिय भोग

Navratri 2024: देश भर में नवरात्रि का पर्व बहुत धूम-धाम और हर्ष उल्लास के साथ मनाया जा रहा है।आज शारदीय नवरात्र का तीसरा दिन है। आज के दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार, मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, साथ ही अगर व्यक्ति के जीवन में किसी प्रकार का भय होता है तो उसे मां की पूजा करने से इन सभी चीजों से मुक्ति मिल जाती है।

आइए जानते हैं, देवी माता दुर्गा के तीसरे स्वरूप का नाम चंद्रघंटा कैसे पड़ा, उनके जन्म के पीछे की कथा क्या है, उनकी पूजा किस मंत्र से करनी चाहिए और उनका प्रिय भोग क्या है?

 Navratri 2024: कैसा है मां का स्वरूप

आप सभी को पता है कि मां दुर्गा के तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा के नाम से जाना जाता है, जो दिव्य और कल्याणकारी है। आपको बता दें कि चंद्रघंटा मां युद्ध मुद्रा के रूप में सिंह पर विराजमान हैं। उनके माथे पर घंटे के आकार में अर्धचंद्र सुशोभित है। इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता हैं। उनके 10 हाथों में त्रिशूल, धनुष, गदा और तलवार आदि शस्त्रों को देखा जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में माता का संबंध मंगल ग्रह से माना गया है।

Navratri 2024: चंद्रघंटा की कथा

पौराणिक कथा के मुताबिक, माता दुर्गा ने मां चंद्रघंटा का अवतार तब लिया था जब दैत्यों का आतंक बढ़ने लगा था। उस समय महिषासुर का भयंकर युद्ध देवताओं से चल रहा था। दरअसल महिषासुर देवराज इंद्र के सिंहासन को प्राप्त करना चाहता था। वह स्वर्गलोक पर राज करने की इच्छा पूरी करने के लिए यह युद्ध कर रहा था। जब देवताओं को उसकी इस इच्छा का पता चला तो वे परेशान हो गए और भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सामने पहुंचे।

ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने देवताओं की बात सुनकर क्रोध प्रकट किया और क्रोध आने पर उन तीनों के मुख से ऊर्जा निकली। उस ऊर्जा से एक देवी अवतरित हुईं। उस देवी को भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज और तलवार और सिंह प्रदान किया। इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध कर देवताओं की रक्षा की। शास्त्रों में मां चंद्रघंटा को लेकर यह कथा प्रचिलत है।

Navratri 2024: मां चंद्रघंटा स्तुति मंत्र

1 पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।

प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

2। या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।

 Navratri 2024: लगाएं मां को प्रिय भोग

नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा के लिए होता है और सभी भक्तगण इस दिन को इनके लिए  समर्पित  करते हैं। तीसरे दिन की पूजा में दूध या मेवा से निर्मित चीजों का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं बहुत जल्द पूरी होती है। आप इस दिन मां को दूध से बनी मिठाई, मिल्क बर्फी आदि का भोग लगा सकते हैं

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