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Dowry System: दहेज प्रताड़ना है घोर निंदनीय, लेन-देन में जुर्माने का क्या हैं प्रावधान ?

Dowry System: भारत हो या दुनिया का कोई भी देश विवाह बड़े धूमधाम से होता है. लेकिन कई देशों में दहेज प्रथा भी है. इसमें लड़की पक्ष दूल्हे को रकम या प्रॉपर्टी दहेज के तौर पर देता है. लेकिन भारत में इस प्रथा को खत्म करने के लिए कई तरह के कानून बनाए गए हैं. इसके तहत दहेज निषेध अधिनियम या डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट शामिल है. इस कानून के तहत दहेज उत्पीड़न मामलों को खत्म करने की कोशिश की जाती है. 

क्या कहता है कानून?

दहेज निषेध अधिनियम, 1961 (Dowry Prohibition Act, 1961) को दहेज प्रथा को रोकने और खत्म करने के लिए लाया गया. इसके तहत 2 सेक्शन हैं, जिसमें सेक्शन 3 और 4 आते हैं. इसमें सेक्शन 3 के अंतर्गत दहेज लेना या देना दोनों अपराध माना गया है. ऐसा करने पर अपराधी को 15 हजार रुपए के जुर्माने के साथ 5 साल तक की सजा सुनाई जा सकती है. जबकि सेक्शन 4 कहता है कि दहेज की मांग करने पर 6 महीने से 2 साल तक की सजा हो सकती है.

दहेज हत्या क्या है ?

धारा 304-B के तहत अपराध को दहेज हत्या कहा जाता है। भारतीय दंड संहिता 1860 में 1986 में जोड़े गए इस प्रावधान के अनुसार विवाह के सात साल में किसी महिला की जलने या किसी अन्य प्रकार की शारीरिक चोट से मृत्यु हो जाती है और यह दिखाया जाता है कि मृत्यु के पूर्व उसे पति या पति के परिजन द्वारा क्रूरता या प्रताड़ना, दहेज की किसी मांग को लेकर किया जाता था तो उसे दहेज हत्या माना है।

Domestic Violence Act-

Domestic Violence Act के तहत भी महिलाएं दहेज खिलाफ अपनी आवाज उठा सकती हैं. इसके तहत किसी भी तरह के प्रताड़ना होने पर यह कानून मदद करता है. 

भारत में दहेज के मामले

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 2020 में दहेज के कारण करीब 7,000 हत्याएं हुईं. यानी करीब 19 महिलाएं हर रोज दहेज की वजह मारी गईं. इसके अलावा 1,700 से ज्यादा महिलाओं ने दहेज से जुड़े कारणों की वजह से आत्महत्या कर ली.

दहेज कानून में सुप्रीम कोर्ट ने अब क्या बदलाव किया है?

इसमें 498-ए के तहत महिला की शिक़ायत आने पर पति और ससुराल वालों की तुंरत गिरफ़्तारी पर रोक लगाई गई थी। इनमें सबसे अहम निर्देश है कि पुलिस ऐसी किसी भी शि‍क़ायत पर तुरंत गिरफ़्तारी नहीं करेगी। महिला की शि‍क़ायत सही है या नहीं, पहले इसकी पड़ताल होगी। पुलिस महकमे में CAW CELL बनाया गया है। यानी CRIME AGAINST WOMEN CELL. इनके अधिकारी दोनों पक्षों की छह महीने तक काउंसलिंग करते है और उसके बाद अंतिम रिपोर्ट पुलिस को सौंपते है। पहले कोशिश होती है कि दोनों पक्षों को समझाया जाए, लेकिन जब बात नहीं बनती है तो मुकदमा दर्ज किया जाता है।

क्या दहेज कानून का दुरुपयोग हुआ ?

ये सच है कि शुरुआत में इस कानून का दुरुपयोग हुआ। इस लिहाज से सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दहेज प्रताड़ना मामले (Dowry Harassment Case) में आदेश दिया । उसने कहा है कि 498ए (दहेज प्रताड़ना) (Section 498A of IPC) मामले में पति के रिलेटिव के खिलाफ स्पष्ट आरोप के बिना केस चलाना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। इस तरह केस नहीं चलाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि इस बात की प्रवृत्ति बढ़ी है कि अपना स्कोर सेटल करने के लिए पति के रिश्तेदारों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना कानून का इस्तेमाल टूल की तरह हो रहा है। लिहाजा शुरुआत में गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई थी।

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