छत्तीसगढ़ में हाल के दिनों में गौवंश और सीजीपीएससी स्कैम को लेकर राजनीतिक बयानबाजी और विवाद ने जोर पकड़ा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया था कि राज्य की साय सरकार गौ निर्यातकों से चंदा लेती है और इस पर राजनीति कर रही है। बघेल ने यह भी कहा कि उनकी सरकार गौवंश की स्थिति को सुधारने के लिए काम कर रही है, जबकि उनके विरोधियों ने इसे एक चुनावी हथकंडा बताया है।
डिप्टी सीएम अरुण साव ने बघेल के आरोपों का तीखा जवाब देते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को गौवंश के मुद्दे पर राजनीति करना बंद करना चाहिए। साव ने आरोप लगाया कि जब बघेल की सरकार में गौठानों में गौ माताओं की मौत हो रही थी और सड़कों पर गौवंश का नुकसान हो रहा था, तब उन्होंने गौवंश के प्रति कोई विशेष स्नेह नहीं दिखाया। उनके अनुसार, बघेल ने सत्ता में रहते हुए गौवंश की समस्याओं को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।
इस बीच, छत्तीसगढ़ में सीबीआई ने कथित सीजीपीएससी स्कैम के मामले में एक बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआई की टीम ने कई बड़े अफसरों से पूछताछ की और इस संदर्भ में कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जांच की। सीबीआई की रेड ने राज्य में हड़कंप मचा दिया है, और यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इस कार्रवाई से राज्य के युवाओं को न्याय मिलेगा और उन्हें रोजगार के अवसर मिलेंगे।
सीबीआई की इस कार्रवाई पर राजनीतिक गलियारों में विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ नेताओं का कहना है कि सीबीआई की कार्रवाई से राज्य के युवाओं को न्याय मिलने की संभावना है, जो विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी द्वारा किए गए वादों का हिस्सा था। बीजेपी ने चुनावी मंच से युवाओं को न्याय और रोजगार देने की बात की थी, और सीबीआई की कार्रवाई को इस दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है।
छत्तीसगढ़ के युवा अब इस इंतजार में हैं कि उन्हें जल्द न्याय और रोजगार मिले। राज्य में इन मुद्दों पर चर्चा और विवाद बढ़ते जा रहे हैं, और जनता की उम्मीदें राजनीतिक नेताओं से तेजी से परिणाम की ओर इशारा कर रही हैं।
फिलहाल, छत्तीसगढ़ के लोगों की निगाहें सीबीआई की जांच और राजनीतिक घोषणाओं पर टिकी हैं। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में इस मामले में और भी स्पष्टता सामने आएगी, जिससे युवाओं को उनका हक और अधिकार मिल सके।