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“Strawberry Farming Boosts Prosperity in Jashpur: A New Agricultural Revolution”!जशपुर में स्ट्रॉबेरी की खेती से किसानों की किस्मत चमकी!

जशपुर में स्ट्रॉबेरी(Strawberry) की खेती(Farming): एक नई दिशा में कृषि(Agriculture) समृद्धि

जशपुर, जो कि छत्तीसगढ़ राज्य का एक प्रमुख जिला है, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है। इस जिले ने अब चाय और टाउ (तेंदूपत्ता) के अलावा स्ट्रॉबेरी(Strawberry) की खेती(Farming) में भी एक नई पहचान बनानी शुरू कर दी है। पिछले कुछ वर्षों में, यहां के किसानों ने स्ट्रॉबेरी की खेती को अपनाकर अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि की है। यह लेख जशपुर में स्ट्रॉबेरी(Strawberry) की खेती(Farming) के विभिन्न पहलुओं, इसके फायदों, चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालेगा।

1. जशपुर का कृषि परिदृश्य

जशपुर जिला मुख्य रूप से कृषि(Agriculture) आधारित अर्थव्यवस्था पर निर्भर है। यहां का भूगोल पहाड़ी और पठारी है, जहां मिट्टी की उर्वरता और जलवायु स्ट्रॉबेरी(Strawberry) जैसे फल की खेती(Farming) के लिए उपयुक्त मानी जाती है। चाय, तेंदूपत्ता, और अन्य पारंपरिक फसलों के अलावा, यहां के किसान अब वाणिज्यिक फसलों की ओर रुख कर रहे हैं।

स्ट्रॉबेरी(Strawberry), जो पहले पहाड़ी क्षेत्रों जैसे हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में लोकप्रिय थी, अब जशपुर की उभरती फसल बन गई है। इसकी खेती(Farming) का मुख्य कारण इस फल की उच्च बाजार मांग और आकर्षक मूल्य है।

2. स्ट्रॉबेरी(Strawberry) की खेती(Farming) क्यों लोकप्रिय हो रही है?

2.1. जलवायु और मिट्टी का अनुकूलन

जशपुर की ठंडी और शीतोष्ण जलवायु स्ट्रॉबेरी(Strawberry) की खेती(Farming) के लिए आदर्श है। स्ट्रॉबेरी(Strawberry) की खेती(Farming) के लिए 15-25 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसके अलावा, यहां की मिट्टी में उच्च जैविक पदार्थ और अच्छी जल निकासी की सुविधा होती है, जो स्ट्रॉबेरी(Strawberry) की जड़ों के विकास में मदद करती है।

2.2. कम समय में उच्च लाभ

स्ट्रॉबेरी(Strawberry) एक ऐसी फसल है, जो अन्य फसलों की तुलना में कम समय में तैयार हो जाती है। यह पौधे लगाने के 90 से 120 दिनों के भीतर फल देने लगती है। इसके अलावा, स्ट्रॉबेरी(Strawberry) का बाजार मूल्य अन्य फलों की तुलना में काफी अधिक है, जिससे किसानों को उच्च लाभ होता है।

2.3. प्रसंस्करण उद्योग और निर्यात के अवसर

स्ट्रॉबेरी(Strawberry) न केवल ताजा फल के रूप में बेची जाती है, बल्कि इसे जैम, जूस, आइसक्रीम, और केक जैसे प्रसंस्कृत उत्पादों में भी उपयोग किया जाता है। यह फसल स्थानीय और राष्ट्रीय बाजार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी निर्यात के लिए उपयुक्त है।

3. स्ट्रॉबेरी(Strawberry) की खेती(Farming) की प्रक्रिया

3.1. मिट्टी की तैयारी

स्ट्रॉबेरी(Strawberry) की खेती के लिए सबसे पहले मिट्टी की गहरी जुताई की जाती है। इसके बाद जैविक खाद, जैसे गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट, का उपयोग किया जाता है। मिट्टी को नमी बनाए रखने और खरपतवार से बचाने के लिए पॉलीथीन मल्चिंग का भी प्रयोग किया जाता है।

3.2. पौधों का चयन और रोपण

स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले पौधों का चयन करना बेहद महत्वपूर्ण है। आमतौर पर ‘कैमरोसा’, ‘चांडलर’, और ‘स्वीट चार्ली’ जैसी किस्में जशपुर में उपयुक्त मानी जाती हैं। पौधों को 30-40 सेमी की दूरी पर रोपा जाता है।

3.3. सिंचाई और पोषण

स्ट्रॉबेरी की जड़ें सतह के पास होती हैं, इसलिए नियमित रूप से हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है। ड्रिप सिंचाई प्रणाली इस उद्देश्य के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा, पौधों को नियमित रूप से आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करना चाहिए।

3.4. कीट और रोग प्रबंधन

स्ट्रॉबेरी की खेती में अक्सर पाउडरी मिल्ड्यू, ग्रे मोल्ड और रेड स्पाइडर माइट जैसे रोग और कीट देखे जाते हैं। जैविक कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का उपयोग इन समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करता है।

4. किसानों की सफलता की कहानियां

4.1. छोटे किसान बने बड़े उद्यमी

जशपुर के कई छोटे किसानों ने स्ट्रॉबेरी(Strawberry) की खेती से अपनी आय को कई गुना बढ़ा लिया है। उदाहरण के लिए, एक किसान जो पहले पारंपरिक फसलों से केवल ₹50,000 वार्षिक आय प्राप्त करता था, अब स्ट्रॉबेरी की खेती से ₹2-3 लाख तक कमा रहा है।

4.2. महिला किसान भी बन रही हैं आत्मनिर्भर

स्ट्रॉबेरी(Strawberry) की खेती(Farming) ने महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान किया है। जशपुर की कई महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) स्ट्रॉबेरी की खेती और इसके प्रसंस्करण में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

5. सरकारी योजनाएं और सहयोग

छत्तीसगढ़ सरकार और कृषि विभाग ने स्ट्रॉबेरी(Strawberry) की खेती(Farming) को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें सब्सिडी, प्रशिक्षण कार्यक्रम, और किसानों को तकनीकी सहायता प्रदान करना शामिल है। इसके अलावा, किसानों को आधुनिक कृषि उपकरणों और प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना में भी सहायता दी जा रही है।

6. चुनौतियां और समाधान

6.1. विपणन और वितरण

स्ट्रॉबेरी(Strawberry) की खेती(Farming) में सबसे बड़ी चुनौती विपणन और वितरण है। हालांकि यह फसल उच्च मांग वाली है, लेकिन खराब परिवहन सुविधाओं के कारण फलों के खराब होने का खतरा रहता है। इसके समाधान के लिए कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं और स्थानीय बाजारों का विकास आवश्यक है।

6.2. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

जलवायु परिवर्तन से फसल के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। किसानों को मौसम आधारित कृषि तकनीकों और फसल बीमा का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

7. भविष्य की संभावनाएं

जशपुर में स्ट्रॉबेरी(Strawberry) की खेती(Farming) के उज्ज्वल भविष्य की संभावना है। यदि किसानों को उचित तकनीकी सहायता, विपणन समर्थन, और प्रसंस्करण इकाइयों का लाभ मिलता है, तो यह जिला देश के अग्रणी स्ट्रॉबेरी उत्पादक क्षेत्रों में से एक बन सकता है। इसके अलावा, इससे कृषि पर्यटन (एग्रो टूरिज्म) को भी बढ़ावा मिल सकता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी।

निष्कर्ष

जशपुर में स्ट्रॉबेरी(Strawberry) की खेती(Farming) ने न केवल कृषि के क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं, बल्कि यह किसानों के लिए आर्थिक समृद्धि का एक नया जरिया भी बनी है। सही दिशा में कदम उठाकर और तकनीकी नवाचारों को अपनाकर, यह क्षेत्र भविष्य में कृषि और बागवानी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर सकता है।

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