Varanasi: हिन्दू धर्म में सबसे ज्यादा पवित्र नगरों में से एक उत्तर प्रदेश का वाराणसी शहर है। इसे बनारस और काशी के नाम से भी जाना जाता है। वाराणसी हमेशा से ज्ञान, शिक्षा और संस्कृति का केन्द्र रहा है। कहा जाता है कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान शिव ने की थी। यहां पर बहुत से धार्मिक स्थल है। आज हम आपको उन्हीं मे से एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने जा रहे है।
Varanasi: जानें क्या है धार्मिक मान्यता ?
धर्म नगरी वाराणसी में एक ऐसा मशहूर कुंआ है, जिसे नागलोक का दरवाजा बताया जाता है। ऐसी मान्यता है कि नागपंचमी के दिन यहां दर्शन करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। यहां के नवापुरा नामक स्थान में स्थित कुएं बारे में मान्यता है कि कि इसकी गहराई पाताल और नागलोक को जोड़ती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहां आज भी नाग निवास करते हैं। नागकुंड स्थित इस कुएं का वर्णन शास्त्रों में किया गया है।
Varanasi: मिलती है कालसर्प दोष से मुक्ति
देश में तीन ऐसे ही कुंड हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि दर्शन करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि जैतपुरा का कुंड ही मुख्य नागकुंड है। जिसका निर्माण महर्षि पतंजलि ने अपने तप से किया था। मान्यताओं के अनुसार, महर्षि पतंजलि ने एक शिवलिंग की भी स्थापना की थी। बताया जाता है कि नागपंचमी से पहले कुंड की सफाई कर जल निकाला जाता है और फिर शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा-अर्चना होती है।
इस जाने-माने स्थान को करकोटक नाग तीर्थ के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि अभी तक नागकुंड की गहराई की सही जानकारी नहीं हो सकी है। कहा जाता है कालसर्प दोष से मुक्ति पाने का यह प्रथम स्थान है।
Varanasi: जानें धार्मिक मान्यता ?
यहां भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है। बताया जाता है कि भगवान शिव की पूजा यहां नागेश के रूप में होती है। भगवान शिव के इस स्वरूप की पूजा के कारण इस मंदिर को करकोटक नागेश्वर के नाम से जाते हैं।
Varanasi: क्या नाग दोष से मिलती है मुक्ति
इस कूंए की सबसे बड़ी मान्यता ये हैं की इस कूए में स्नान व पूजा मात्र से ही सारे पापों का नाश हो जाता है। कूए में स्नान मात्र से ही नाग दोष से मुक्ति मिल जाती है, ऐसी मान्यता हैं।