Breast Tax: आज हम एक देश में रहते हैं जहाँ पर आज भी महिलाओं की इज्जत की जाती है, लेकिन अगर इतिहास के बारे में महिलाओं को लेकर बात किया जाएं तो औरतों की स्थिति बेहद ख़तरनाक थी। आज के समय में देश की महिलाओं को अपने शरीर पर पूरा हक़ है, लेकिन पहले के समय में महिलाओं को अपना ही शरीर ढकने के लिए टैक्स देना पड़ता था। इस क्रूर प्रथा को ‘ब्रेस्ट टैक्स’ या ‘स्तन कर’ के नाम से जाना जाता था।
Breast Tax: जानें क्या था स्तन कर?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, स्तन टैक्स एक ऐसी प्रथा थी जिसमें दलित महिलाओं को अपने स्तनों को ढकने के लिए एक निश्चित राशि देनी होती थी। यह कर दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में, खासकर केरल और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा यह प्रचलन चलता था। अगर जो भी महिलाओं इस कर यानी कि टैक्स को चुकाने में असमर्थ होती थी तो उन्होंने बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता था।
Breast Tax: क्यों लगाया जाता था स्तन कर?
इस कर को लगाने के पीछे कई कारण थे।
जाति व्यवस्था: उस समय भारत में जाति व्यवस्था बहुत प्रचलित थी। दलितों को समाज का सबसे निचला वर्ग माना जाता था और उनके साथ भेदभाव किया जाता था।
सत्ता का दुरुपयोग: शासक वर्ग दलितों को दबाने के लिए इस तरह के कर लगाता था।
शारीरिक शोषण: दलित महिलाओं के साथ शारीरिक शोषण को बढ़ावा देने के लिए भी यह कर लगाया जाता था।
Breast Tax: किसने की ये प्रथा ख़त्म ?
नंगेली नाम की एक साहसी दलित महिला ने स्तन कर (जिसे “मुलकरम” कहा जाता था) के खिलाफ विद्रोह किया, जो केरल में दलित और निम्न जाति की महिलाओं पर लगाया गया था। इस कर के अंतर्गत, दलित महिलाओं को अपने स्तनों को ढकने के लिए कर चुकाना पड़ता था। नंगेली ने इस अन्यायपूर्ण कर का विरोध करने के लिए एक साहसिक कदम उठाया और अपने स्तनों को काटकर स्थानीय अधिकारी को भेज दिया। यह घटना दलित महिलाओं के लिए विद्रोह और आत्मसम्मान का प्रतीक बन गई।
नंगेली का बलिदान अन्याय के खिलाफ खड़े होने का प्रतीक बना, और यह विद्रोह व्यापक रूप से चर्चा का विषय बन गया। 19वीं सदी में ब्रिटिश शासन के दौरान इस प्रथा को अवैध घोषित कर दिया गया, लेकिन इसके सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव दशकों तक महसूस किए जाते रहे। नंगेली की कहानी दलित समुदायों और महिलाओं के लिए संघर्ष और अधिकारों के प्रति जागरूकता का स्रोत है।