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12 Jyotirling!12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन का महत्व जानें!

भारत में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग(12 Jyotirlingas) भगवान शिव के 12 पवित्र और पूजनीय स्थलों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये ज्योतिर्लिंग(12 Jyotirlinga) शिवभक्तों के लिए आत्मशुद्धि, मोक्ष और शिव कृपा प्राप्त करने के सबसे पवित्र स्थान माने जाते हैं। हर ज्योतिर्लिंग का अपना एक अनूठा इतिहास और महत्व है, जो भक्तों को आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।पौराणिक कथाओं के अनुसार, ज्योतिर्लिंग(12 Jyotirlingas) शिव के अनादि-अनंत स्वरूप को दर्शाते हैं, जो प्रकाश के रूप में स्वयं को प्रकट करते हैं।


1. 12 ज्योतिर्लिंग(12 Jyotirlingas) का महत्व
ज्योतिर्लिंग का शाब्दिक अर्थ है “प्रकाश का प्रतीक”। इसे भगवान शिव का दिव्य स्वरूप माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिवलिंग के रूप में प्रकट यह ज्योति भगवान शिव की उपस्थिति को दर्शाता है। द्वादश ज्योतिर्लिंग(12 Jyotirlingas) के दर्शन से भक्तों को उनके पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।


2. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
सोमनाथ को द्वादश ज्योतिर्लिंगों(12 Jyotirlinga) में सबसे पहला और पवित्र माना जाता है। यह मंदिर गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित है और इसे चंद्रदेव द्वारा स्थापित किया गया था। यह ज्योतिर्लिंग शिव और चंद्रमा के बीच की भक्ति और आस्था का प्रतीक है।


3. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)
यह ज्योतिर्लिंग श्रीशैलम पर्वत पर स्थित है और इसे “दक्षिण का काशी” भी कहा जाता है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि यह शिव और पार्वती दोनों का संयुक्त रूप है।


4. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
महाकालेश्वर उज्जैन में स्थित है और यह शिव के महाकाल रूप का प्रतिनिधित्व करता है। यह ज्योतिर्लिंग खासतौर पर अपने “भस्म आरती” के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें भगवान शिव को भस्म अर्पित किया जाता है।


5. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (मध्य प्रदेश)
यह नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और इसे द्वीप के आकार के कारण ओंकारेश्वर कहा जाता है। शिवभक्त यहां आकर आध्यात्मिक शांति और ऊर्जा का अनुभव करते हैं।


6. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तराखंड)
हिमालय की ऊंचाइयों में स्थित यह ज्योतिर्लिंग सबसे कठिन यात्रा स्थल है। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के “केदार” रूप का प्रतीक है और यह चार धाम यात्रा का भी हिस्सा है।


7. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
भीमाशंकर को सह्याद्रि पहाड़ियों में स्थित माना जाता है। इस ज्योतिर्लिंग का महत्व भीमा नामक दैत्य के वध के साथ जुड़ा है। यहां शिवभक्त प्राकृतिक सुंदरता के बीच आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।


8. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (उत्तर प्रदेश)
काशी विश्वनाथ वाराणसी में स्थित है और इसे मोक्ष की नगरी माना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के उस रूप का प्रतीक है, जो भक्तों को मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति दिलाते हैं।


9. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (महाराष्ट्र)
यह नासिक के पास स्थित है और यहां से गोदावरी नदी का उद्गम हुआ है। त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के त्रिनेत्र रूप का प्रतीक है।


10. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (झारखंड)
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को “बाबा बैजनाथ” के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि रावण ने यहां भगवान शिव की तपस्या की थी और शिवजी ने उसे वरदान दिया था।


11. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (गुजरात)
यह द्वारका के पास स्थित है और इसे शिव के नागेश्वर रूप का प्रतीक माना जाता है। यहां शिवभक्तों को शत्रुओं से मुक्ति और सुरक्षा की अनुभूति होती है।


12. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)
रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह भगवान राम और शिव की भक्ति का प्रतीक है। रामेश्वरम में समुद्र तट पर स्थित यह मंदिर शिव और विष्णु की अद्वितीय एकता को दर्शाता है।


निष्कर्ष
द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना शिवभक्तों के लिए परम आध्यात्मिक अनुभव है। इन ज्योतिर्लिंगों की यात्रा करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष प्राप्त होता है। यह यात्राएं भक्ति, श्रद्धा और आत्मशुद्धि का मार्ग प्रशस्त करती हैं। यदि आप भी भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं, तो द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा अवश्य करें।

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