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सबरीमाला मंदिर ‘मंडला पूजा’ के लिए तैयार: 26 दिसंबर को होगा भव्य आयोजन!

26 दिसंबर को भगवान अयप्पा मंदिर, सबरीमाला, वार्षिक तीर्थयात्रा के पहले चरण की समाप्ति पर ‘मंडला पूजा’ के लिए पूरी तरह तैयार है। यह पूजा भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों में से एक है।

‘थंका अंकी’ जुलूस का आगमन

रविवार को पथानामथिट्टा जिले के अरनमुला पार्थसारथी मंदिर से शुरू हुआ औपचारिक “थंका अंकी” जुलूस बुधवार दोपहर तक पंबा पहुंचेगा। इस जुलूस का स्वागत पंबा में देवस्वोम मंत्री वीएन वासवन द्वारा किया जाएगा। इसके बाद शाम को सन्निधानम (मंदिर परिसर) में त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) के अध्यक्ष पीएस प्रशांत और अन्य सदस्यों द्वारा स्वागत किया जाएगा।

मंडला पूजा का समय

मंडला पूजा का आयोजन मुख्य पुजारी (तंत्री) कंडारारू राजीवारू द्वारा किया जाएगा। यह अनुष्ठान दोपहर 12 बजे से 12:30 बजे के बीच संपन्न होगा। पूजा के दौरान भगवान अयप्पा की मूर्ति को ‘थंका अंकी’ (पवित्र स्वर्ण पोशाक) पहनाई जाएगी। यह पोशाक जुलूस के रूप में लाई जाती है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है।

तीर्थयात्रा का समापन

मंडला पूजा और ‘नेय्याभिषेकम’ (घी से अभिषेक) के बाद 26 दिसंबर की रात 11 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। यह वार्षिक तीर्थयात्रा के पहले चरण की समाप्ति का प्रतीक है। भक्तगण इस पूजा के माध्यम से अपनी आस्था और श्रद्धा को प्रकट करते हैं।

मकरविलक्कु उत्सव की तैयारी

सबरीमाला मंदिर 30 दिसंबर की शाम को मकरविलक्कु उत्सव के लिए पुनः खोल दिया जाएगा। इस उत्सव का मुख्य दिन 14 जनवरी होगा, जब लाखों भक्त भगवान अयप्पा के दर्शन के लिए मंदिर परिसर में एकत्रित होंगे।

भी‌ड़ प्रबंधन और वर्चुअल कतार बुकिंग

टीडीबी ने भी‌ड़ प्रबंधन को लेकर विशेष उपाय किए हैं। 25 और 26 दिसंबर के कार्यक्रमों के लिए वर्चुअल कतार बुकिंग की सीमा 50,000 और 60,000 तक निर्धारित की गई है। इसके अलावा, उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार स्पॉट बुकिंग केवल 5,000 तीर्थयात्रियों तक सीमित होगी।

दर्शन के आँकड़े

23 दिसंबर तक सबरीमाला में 30,87,049 तीर्थयात्री भगवान अयप्पा के दर्शन कर चुके हैं। यह संख्या पिछले साल की तुलना में 4.46 लाख अधिक है। यह बढ़ोतरी भगवान अयप्पा के प्रति भक्तों की बढ़ती आस्था को दर्शाती है।

पंबा संगमम का पुनः आरंभ

टीडीबी ने 2018 की बाढ़ के बाद रोके गए “पंबा संगमम” कार्यक्रम को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। यह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम 12 जनवरी से आरंभ होगा।

मकरविलक्कु उत्सव के लिए विशेष व्यवस्थाएँ

मकरविलक्कु उत्सव के तहत 13 और 14 जनवरी को वर्चुअल कतार बुकिंग की सीमा क्रमशः 50,000 और 40,000 तक तय की गई है। इसके साथ ही भगवान अयप्पा के लिए स्वर्ण लॉकेट लाने का भी निर्णय लिया गया है।

सुरक्षा और स्वच्छता प्रबंधन

मंदिर परिसर और पंबा क्षेत्र में सुरक्षा और स्वच्छता के लिए व्यापक प्रबंधन किए गए हैं। भक्तों के लिए पीने के पानी, शौचालय और प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। पुलिस और स्वयंसेवकों की विशेष टीमें भी तैनात की गई हैं।

‘थंका अंकी’ का महत्व

“थंका अंकी” जुलूस भगवान अयप्पा की धार्मिक परंपराओं का प्रतीक है। इसे पारंपरिक संगीत और भजन के साथ मंदिर तक लाया जाता है। भक्तगण इस जुलूस का दर्शन कर खुद को धन्य मानते हैं।

डिजिटल तकनीक का उपयोग

सबरीमाला तीर्थयात्रा के दौरान डिजिटल तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है। वर्चुअल कतार बुकिंग प्रणाली और मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से तीर्थयात्रियों को सुविधा प्रदान की जा रही है।

सांस्कृतिक महत्व

सबरीमाला मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि केरल की सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहां आयोजित होने वाले अनुष्ठान और उत्सव भारतीय संस्कृति और परंपरा को समृद्ध करते हैं।

पर्यावरण संरक्षण

टीडीबी ने सबरीमाला क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए भी विशेष कदम उठाए हैं। प्लास्टिक उपयोग पर प्रतिबंध और स्वच्छता अभियान के माध्यम से इस पवित्र स्थल को साफ और सुंदर बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है।

श्रद्धालुओं के लिए दिशानिर्देश

मंदिर प्रबंधन ने श्रद्धालुओं से मंदिर परिसर की पवित्रता बनाए रखने और नियमों का पालन करने की अपील की है। तीर्थयात्रियों को अपनी बुकिंग समय के अनुसार मंदिर में पहुंचने और अनुशासन बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं।

निष्कर्ष

सबरीमाला की मंडला पूजा और मकरविलक्कु उत्सव भारतीय धार्मिक परंपरा के अनमोल रत्न हैं। यह उत्सव न केवल भगवान अयप्पा के प्रति श्रद्धा को प्रकट करता है, बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का भी प्रतीक है।

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