महाकुंभ 2025: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रयागराज दौरा! प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लगभग 5500 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। उन्होंने संगम की पवित्र भूमि को नमन करते हुए कहा कि यह परियोजनाएं क्षेत्र की समृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। श्री मोदी ने महाकुंभ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को रेखांकित किया और इसे भारत की आध्यात्मिक पहचान का प्रतीक बताया।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य और श्री ब्रजेश पाठक सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
प्रयागराज की महत्ता पर प्रकाश
प्रयागराज को गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम का स्थल होने के कारण विश्व भर में जाना जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भूमि केवल नदियों का संगम नहीं बल्कि आध्यात्मिकता, धर्म और संस्कृति का केंद्र है। उन्होंने इसे भारतीय सभ्यता का आदिकालीन प्रतीक बताया।
महाकुंभ: एक ऐतिहासिक आयोजन
श्री मोदी ने महाकुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा समागम बताते हुए कहा कि यह आयोजन भारत की विविधता में एकता का जीता-जागता उदाहरण है। उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति का केंद्र बिंदु बताया जहां हर वर्ग और समुदाय के लोग मिलकर एकता का प्रदर्शन करते हैं।
श्रद्धालुओं के लिए नई सुविधाएं
प्रधानमंत्री ने महाकुंभ में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए विकसित की जा रही नई सुविधाओं पर चर्चा की। उन्होंने हनुमान कॉरिडोर, अक्षयवट कॉरिडोर और सरस्वती कूप के पुनर्विकास का उल्लेख किया। यह परियोजनाएं श्रद्धालुओं के लिए तीर्थ यात्रा को अधिक सहज और सुखद बनाएंगी। उन्होंने कहा कि अक्षय वट कॉरिडोर, हनुमान मंदिर कॉरिडोर और भारद्वाज ऋषि आश्रम कॉरिडोर इस दृष्टि को दर्शाते हैं जबकि सरस्वती कूप, पातालपुरी, नागवासुकी और द्वादश माधव मंदिर जैसे स्थलों को भी तीर्थयात्रियों के लिए पुनर्जीवित किया जा रहा है।
स्वच्छता और प्रबंधन का महत्व
श्री मोदी ने स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि महाकुंभ के दौरान 15,000 से अधिक सफाई कर्मचारी तैनात किए जाएंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि संगम क्षेत्र स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल रहे।
प्रयागराज का आध्यात्मिक महत्व
प्रधानमंत्री ने वेदों और पुराणों में प्रयागराज की स्तुति का उल्लेख करते हुए कहा कि यह स्थान धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति का केंद्र है। उन्होंने संगम में डुबकी लगाने के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे आत्मा की शुद्धि का माध्यम बताया।
गंगा नदी का महत्व
श्री मोदी ने नमामि गंगे परियोजना की प्रगति पर चर्चा करते हुए कहा कि गंगा का स्वच्छ और निर्मल प्रवाह महाकुंभ की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने गंगा प्रहरी और गंगा मित्र जैसी पहलों की सराहना की।
सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने रामायण सर्किट, कृष्ण सर्किट और बौद्ध सर्किट जैसी योजनाओं का उल्लेख किया।
महाकुंभ का आर्थिक प्रभाव
महाकुंभ केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि तीर्थयात्रियों की बढ़ती संख्या से व्यापार, परिवहन और रोजगार में वृद्धि होगी।
तकनीकी प्रगति का उपयोग
श्री मोदी ने कुंभ में तकनीकी प्रगति का उल्लेख किया, जैसे एआई और चैटबॉट तकनीक का उपयोग। उन्होंने ‘कुंभ सहायक’ चैटबॉट की शुरुआत का उल्लेख किया जो ग्यारह भारतीय भाषाओं में संवाद कर सकता है।
सामाजिक एकता का प्रतीक
प्रधानमंत्री ने महाकुंभ को सामाजिक एकता का महायज्ञ बताया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन जाति, धर्म और भाषा के भेदभाव को मिटाकर भारतीय संस्कृति की शक्ति को दर्शाता है।
पिछली सरकारों पर निशाना
श्री मोदी ने पिछली सरकारों द्वारा कुंभ की उपेक्षा की आलोचना की। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने तीर्थयात्रियों की सुविधाओं के लिए अभूतपूर्व प्रयास किए हैं।
बुनियादी ढांचे का विकास
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रयागराज को देश के प्रमुख शहरों से जोड़ने के लिए बुनियादी ढांचे को विकसित किया जा रहा है। उन्होंने अयोध्या, वाराणसी और लखनऊ से बेहतर कनेक्टिविटी पर जोर दिया।
राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-मंथन
महाकुंभ को संतों और विद्वानों के लिए विचार-विमर्श का मंच बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आयोजन सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा का माध्यम रहा है।
वैश्विक पहचान की ओर
प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि महाकुंभ 2025 भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाई देगा।
महिलाओं की भागीदारी
श्री मोदी ने महिला सफाई कर्मचारियों और श्रमिकों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन महिला सशक्तिकरण का भी प्रतीक है।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश
प्रधानमंत्री ने कुंभ को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाला आयोजन बताया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग का उदाहरण है।
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा
महाकुंभ युवाओं को भारतीय संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का माध्यम है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आयोजन नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
सरकार की प्रतिबद्धता
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें महाकुंभ को सफल बनाने के लिए मिलकर काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि यह आयोजन सरकार की जनभागीदारी की नीति का उदाहरण है।
समावेशी विकास की दिशा में कदम
श्री मोदी ने कहा कि महाकुंभ सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का प्रतीक है। उन्होंने इसे ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के विचार का प्रतिबिंब बताया।
श्रद्धालुओं के लिए शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री ने महाकुंभ में आने वाले सभी तीर्थयात्रियों का स्वागत किया और इसे ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बनाने की शुभकामनाएं दीं।
निस्कर्ष
महाकुंभ 2025 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण और प्रयत्नों के माध्यम से न केवल एक धार्मिक आयोजन रहेगा, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और आर्थिक उन्नति का प्रतीक भी बनेगा। प्रयागराज में विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास क्षेत्र के समग्र विकास को गति देंगे।
महाकुंभ सामाजिक एकता, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और तकनीकी प्रगति का भी प्रतीक होगा। यह आयोजन न केवल देशवासियों बल्कि विश्व भर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा और भारत की आध्यात्मिक विरासत को वैश्विक स्तर पर मजबूती प्रदान करेगा।