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महाकुंभ 2025 का संगम नगरी प्रयागराज में अद्भुत, आलौकिक और भव्यता के साथ शुभारंभ!

संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का शुभारंभ

प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का आगाज पूरी भव्यता के साथ हो चुका है। यह धार्मिक आयोजन न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पर्व है। आज, 13 जनवरी 2025, को पौष पूर्णिमा के दिन पहला शाही स्नान हो रहा है। संगम तट पर भव्य तंबू, नागा साधुओं का जमावड़ा और सुरक्षा के कड़े इंतजाम इस आयोजन की भव्यता को दर्शाते हैं।

महाकुंभ का महत्व और इतिहास

महाकुंभ मेला हिंदू पौराणिक कथा ‘समुद्र मंथन’ से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि देवताओं और दानवों के बीच अमृत के लिए हुए समुद्र मंथन के दौरान चार स्थानों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक – पर अमृत की बूंदें गिरी थीं। ये स्थान पवित्र माने गए और यहां कुंभ मेले का आयोजन शुरू हुआ। माना जाता है कि कुंभ मेले में स्नान करने से आत्मा शुद्ध होती है और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है।

महाकुंभ 2025 के 6 शाही स्नान की तिथियां

महाकुंभ 2025 के दौरान कुल 6 शाही स्नान होंगे। ये स्नान न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं बल्कि इनमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। आइए जानते हैं इन महत्वपूर्ण तिथियों के बारे में:

  1. प्रथम शाही स्नान – 13 जनवरी 2025 (सोमवार) – पौष पूर्णिमा
  2. दूसरा शाही स्नान – 14 जनवरी 2025 (मंगलवार) – मकर संक्रांति
  3. तीसरा शाही स्नान – 29 जनवरी 2025 (बुधवार) – मौनी अमावस्या
  4. चौथा शाही स्नान – 03 फरवरी 2025 (सोमवार) – वसंत पंचमी
  5. पांचवां शाही स्नान – 12 फरवरी 2025 (बुधवार) – माघी पूर्णिमा
  6. छठवां शाही स्नान – 26 फरवरी 2025 (बुधवार) – महाशिवरात्रि

महाकुंभ का शुभ संयोग

महाकुंभ 2025 में कई शुभ संयोग बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार कुंभ मेला रवि योग और भद्रावास योग जैसे शुभ संयोग में हो रहा है। ऐसा माना जाता है कि इन योगों में गंगा में स्नान करना विशेष फलदायी होता है। पौष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

महाकुंभ में संगम स्नान का महत्व

संगम तट पर स्नान का विशेष महत्व है। यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों का मिलन होता है। मान्यता है कि संगम में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण लाखों श्रद्धालु हर साल संगम में स्नान करने के लिए यहां आते हैं।

योगी सरकार की तैयारियां

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने महाकुंभ 2025 के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। सरकार का लक्ष्य है कि इस महाकुंभ में 45 करोड़ श्रद्धालुओं को संगम में स्नान कराया जाए। इसके लिए सुरक्षा और सुविधा दोनों का खास ध्यान रखा गया है।

संगम क्षेत्र का विस्तार

प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग ने संगम क्षेत्र का विस्तार किया है। लगभग 2 हेक्टेयर क्षेत्र को बढ़ाया गया है, जिससे हर घंटे 2 लाख लोग आसानी से गंगा में डुबकी लगा सकते हैं। इस क्षेत्र को संगम नोज नाम दिया गया है।

प्रयागराज का माहौल

महाकुंभ के दौरान प्रयागराज का माहौल पूरी तरह से धार्मिक और सांस्कृतिक हो जाता है। हर तरफ श्रद्धालु कंधे पर सामान लादे संगम की ओर बढ़ते नजर आते हैं। सुरक्षा के लिए चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती की गई है।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम

महाकुंभ 2025 के दौरान सुरक्षा को लेकर कड़े इंतजाम किए गए हैं। वज्रवाहन, ड्रोन, बम निरोधक दस्ते और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) को तैनात किया गया है।

साधु-संतों का भव्य प्रवेश

अलग-अलग अखाड़ों के साधु-संत राजसी शान-ओ-शौकत के साथ महाकुंभ में प्रवेश कर रहे हैं। उनके साथ हाथी, घोड़े, ऊंट और भक्तों की टोलियां भी हैं।

कल्पवास की परंपरा

महाकुंभ के दौरान कई श्रद्धालु कल्पवास करते हैं। कल्पवास का अर्थ है सांसारिक मोह-माया से दूर रहकर केवल भक्ति और साधना करना। कल्पवास करने वाले श्रद्धालु गंगा किनारे टेंट में एक महीने तक रहते हैं।

कल्पवास के नियम

कल्पवास करने वाले श्रद्धालु सूर्योदय से पहले गंगा स्नान करते हैं। वे बिना लहसुन-प्याज वाले भोजन का सेवन करते हैं और ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं। उनका पूरा दिन पूजा-पाठ में व्यतीत होता है।

गंगा मां की महिमा

प्रयागराज की रहने वाली श्यामलि तिवारी पिछले सात वर्षों से कल्पवास कर रही हैं। वे कहती हैं, “गंगा मां हमारे पापों को माफ कर देती हैं।” वे गंगा में स्नान करने के बाद शुद्ध भोजन करती हैं और एक महीने तक भक्ति में लीन रहती हैं।

साधु-संतों का आशीर्वाद

महाकुंभ के दौरान साधु-संतों का आशीर्वाद लेने के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं। ये साधु-संत गंगा किनारे अपने कैंप लगाते हैं और श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हैं।

महाकुंभ में व्यापार का महत्व

महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु आते हैं, जिससे स्थानीय व्यापारियों को भी बड़ा लाभ होता है। यहां खाने-पीने से लेकर धार्मिक वस्तुओं की खरीदारी होती है।

कुंभ मेला: विश्व धरोहर

यूनेस्को ने कुंभ मेले को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता दी है। यह आयोजन भारतीय संस्कृति, आस्था और परंपरा का प्रतीक है।

महाकुंभ 2025 का समापन

महाकुंभ 2025 का समापन महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी 2025 को होगा। इस दिन अंतिम शाही स्नान होगा, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेंगे।

निष्कर्ष

महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन है बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का जीवंत उदाहरण है। इसकी भव्यता, धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर इसे विश्वभर में अनोखा बनाती है। यदि आप इस अद्वितीय आयोजन का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो महाकुंभ 2025 के दौरान प्रयागराज अवश्य जाएं।

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