दिल्ली के निगमबोध घाट पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का आज अंतिम संस्कार
28 दिसंबर, 2024 को दिल्ली के निगमबोध घाट पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। डॉ. सिंह का गुरुवार रात नई दिल्ली में निधन हो गया था। उनके निधन से पूरा देश शोकाकुल है। गृह मंत्रालय ने घोषणा की कि उनका अंतिम संस्कार पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ किया जाएगा।
राजकीय शोक और श्रद्धांजलि
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के उपलक्ष्य में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सात दिनों का राजकीय शोक घोषित किया। यह शोक अवधि 28 दिसंबर से 1 जनवरी तक पूरे देश में और विदेशों में भारतीय मिशनों में मनाई जाएगी। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा आधा झुका रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक विशेष बयान में सिंह को “दयालु व्यक्ति, विद्वान अर्थशास्त्री और सुधारों के लिए समर्पित नेता” के रूप में याद किया।
सैन्य सम्मान के साथ अंतिम यात्रा
डॉ. मनमोहन सिंह की अंतिम यात्रा सुबह 11:45 बजे निगमबोध घाट पर शुरू होगी। इस अवसर पर गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने संयुक्त रूप से आयोजन की व्यवस्था की है। उनके पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय तिरंगे में लपेटा गया है और सैन्य बैंड के साथ अंतिम सलामी दी जाएगी। यह एक ऐसा क्षण होगा जब पूरा देश उनके योगदान और सेवाओं को याद करेगा। उनके परिवार, मित्र, और राजनीतिक सहयोगी उन्हें अंतिम विदाई देंगे।
डॉ. मनमोहन सिंह: एक साधारण पृष्ठभूमि से ऊंचाइयों तक का सफर
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन कठिनाइयों और चुनौतियों से भरा रहा। विभाजन के दौरान उन्होंने अपने परिवार के साथ भारत में शरण ली। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों में शिक्षा प्राप्त की और सरकारी पदों पर अपनी छाप छोड़ी। उनका जीवन उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है जो साधारण पृष्ठभूमि से असाधारण ऊंचाइयों तक पहुंचने का सपना देखते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का शोक संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन सादगी, ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता का प्रतीक था। उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में भारत को आर्थिक संकट से बाहर निकाला और देश को एक नई दिशा दी। उनका प्रधानमंत्री के रूप में योगदान हमेशा याद किया जाएगा।” मोदी ने यह भी कहा कि दलीय राजनीति से ऊपर उठकर, सिंह ने सभी के साथ सुलभ और सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार किया।
एक प्रख्यात अर्थशास्त्री और सुधारवादी नेता
डॉ. सिंह का नाम भारतीय अर्थव्यवस्था को उदारीकरण की दिशा में ले जाने वाले नेता के रूप में हमेशा लिया जाएगा। 1991 में वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने देश को आर्थिक संकट से उबारा और नई आर्थिक नीतियों की नींव रखी। इन सुधारों ने भारत को वैश्विक आर्थिक मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाई। उनकी आर्थिक नीतियों ने गरीबी उन्मूलन और रोजगार सृजन के लिए मजबूत आधार तैयार किया।
प्रधानमंत्री के रूप में उनका योगदान
डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण योजनाओं और नीतियों को लागू किया, जिनमें मनरेगा, आधार योजना, और भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का विस्तार प्रमुख थे। उनकी नेतृत्व क्षमता और दूरदृष्टि ने देश को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर किया। वैश्विक मंचों पर उनकी सूझबूझ और शांतिपूर्ण दृष्टिकोण ने भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाया।
विद्वत्ता और सादगी का प्रतीक
डॉ. सिंह की विद्वत्ता और सादगी उनकी पहचान थी। उन्होंने राजनीति में ईमानदारी और नैतिकता का उदाहरण प्रस्तुत किया। राज्यसभा में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। वे व्हीलचेयर पर रहते हुए भी अपने कर्तव्यों का पालन करते रहे। उनकी यह प्रतिबद्धता राजनीति में युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान
डॉ. सिंह को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया, और उनके कार्यकाल में भारत ने कई वैश्विक मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में उनकी भूमिका ने भारत की स्थिति को और मजबूत किया।
देश की आर्थिक दिशा बदलने वाले नेता
डॉ. सिंह ने भारत को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया। उन्होंने आर्थिक सुधारों के माध्यम से विदेशी निवेश को आकर्षित किया और भारतीय उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया। उनकी योजनाएं, जैसे विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) और औद्योगिक नीतियां, देश के विकास में मील का पत्थर साबित हुईं।
दलीय राजनीति से परे उनका दृष्टिकोण
डॉ. सिंह ने हमेशा दलीय राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दी। उनका यह दृष्टिकोण उन्हें अन्य नेताओं से अलग करता था। प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने हर वर्ग के लोगों के साथ संवाद कायम रखा। उनकी यह गुणवत्ता उन्हें सच्चा राष्ट्रवादी बनाती है।
विभाजन के समय का संघर्ष
डॉ. सिंह का बचपन विभाजन के समय के संघर्षों से भरा था। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से शिक्षा प्राप्त की और जीवन में असाधारण ऊंचाइयां हासिल कीं। उनका जीवन यह सिखाता है कि कठिनाइयों को अवसर में कैसे बदला जा सकता है। उन्होंने दिखाया कि समर्पण और परिश्रम से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
परिवार और निजी जीवन
डॉ. सिंह अपने निजी जीवन में भी उतने ही सरल और स्नेही थे। उन्होंने अपने परिवार के साथ सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत किया और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझा। उनका व्यक्तिगत जीवन उनकी विचारशीलता और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री मोदी की यादें
प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. सिंह के साथ अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की। मोदी ने उनके जन्मदिन पर हाल ही में उनसे बात की और उनके विचारों को प्रेरणादायक बताया। प्रधानमंत्री ने उनकी जीवन शैली और कार्यशैली को युवाओं के लिए अनुकरणीय बताया।
शिक्षा और करियर की शुरुआत
डॉ. सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने अपनी करियर की शुरुआत भारतीय सिविल सेवा से की और बाद में विभिन्न महत्त्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उनका शैक्षणिक जीवन अद्वितीय था और उन्होंने अर्थशास्त्र में अपने गहन ज्ञान से विश्वभर में पहचान बनाई।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्यकाल
डॉ. सिंह ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं। इस दौरान उन्होंने भारतीय वित्तीय प्रणाली को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी नीतियों ने मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाने और देश की अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने में सहायता की।
आर्थिक सुधारों की नींव
1991 में वित्त मंत्री के रूप में डॉ. सिंह ने आर्थिक सुधारों की नींव रखी। इन सुधारों ने देश की अर्थव्यवस्था को नए आयाम दिए और भारत को वैश्विक मंच पर अग्रणी स्थान दिलाया। उन्होंने उद्योग, व्यापार, और सेवा क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया।
युवाओं के लिए प्रेरणा
डॉ. सिंह का जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा है। उनका संघर्ष और सफलता यह सिखाती है कि मेहनत और ईमानदारी से सब कुछ संभव है। उन्होंने यह भी बताया कि समर्पण और दृढ़ निश्चय से कोई भी व्यक्ति असाधारण ऊंचाइयों को छू सकता है। उनका जीवन एक उदाहरण है कि सपने साकार किए जा सकते हैं।
देश की क्षति
डॉ. मनमोहन सिंह का निधन देश के लिए एक बड़ी क्षति है। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। राष्ट्र ने एक विद्वान नेता, प्रख्यात अर्थशास्त्री और सच्चा मार्गदर्शक खो दिया। उनकी विरासत सदैव जीवंत रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।