प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 6 दिसंबर 2024 को दिल्ली के भारत मंडपम में ‘अष्टलक्ष्मी महोत्सव 2024’ का उद्घाटन करेंगे। यह तीन दिवसीय महोत्सव पूर्वोत्तर भारत के आठ राज्यों की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक विविधता का भव्य प्रदर्शन करेगा। इस महोत्सव का उद्देश्य न केवल पूर्वोत्तर की कला और संस्कृति को उजागर करना है, बल्कि वहां के आर्थिक विकास और पर्यटन को बढ़ावा देना भी है।
पूर्वोत्तर भारत के आठ राज्यों की झलक
अष्टलक्ष्मी महोत्सव 2024 में पूर्वोत्तर के आठ राज्यों – अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा और सिक्किम – की अनूठी सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन होगा। इन राज्यों को ‘अष्टलक्ष्मी‘ के रूप में जाना जाता है, जो भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को और मजबूत बनाते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आकर्षण
महोत्सव में पारंपरिक नृत्य, लोक संगीत, हस्तशिल्प प्रदर्शन और स्थानीय व्यंजनों का आयोजन किया जाएगा। बांस और बेंत की कलाकृतियां, हाथ से बुने वस्त्र और स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी इस महोत्सव की खासियत होंगी। साथ ही, हर राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को नृत्य और नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा।
आर्थिक और सामाजिक विकास पर जोर
महोत्सव का मुख्य उद्देश्य पूर्वोत्तर के आर्थिक और सामाजिक विकास को गति देना है। इसमें कृषि उत्पादों, पर्यटन और स्थानीय उद्यमों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्टॉल और सेमिनार का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन पूर्वोत्तर के ग्रामीण क्षेत्रों के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचाने का माध्यम बनेगा।
पर्यटकों के लिए स्वर्ग
पूर्वोत्तर भारत को प्राकृतिक सौंदर्य और विविधता के लिए जाना जाता है। अष्टलक्ष्मी महोत्सव में पर्यटकों को इस क्षेत्र के पर्यटन स्थलों की जानकारी दी जाएगी, जिससे वे वहां की संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकें। महोत्सव में विशेष पर्यटन पैकेज भी पेश किए जाएंगे।
हस्तशिल्प और हस्तकलाओं का मंच
महोत्सव में पूर्वोत्तर के हस्तशिल्पकारों को अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने का मंच मिलेगा। बांस और बेंत से बनी वस्तुएं, मिट्टी के बर्तन, और हाथ से बुने वस्त्र पर्यटकों और खरीदारों के आकर्षण का केंद्र होंगे। इससे स्थानीय कारीगरों को आर्थिक सहायता मिलेगी।
युवा प्रतिभाओं को अवसर
इस महोत्सव में पूर्वोत्तर के युवा कलाकारों और उद्यमियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा। नृत्य, संगीत और थिएटर के क्षेत्र में नए चेहरों को मंच प्रदान किया जाएगा। साथ ही, विभिन्न उद्यमिता कार्यशालाओं का आयोजन भी होगा।
स्थानीय व्यंजनों का स्वाद
पूर्वोत्तर के हर राज्य के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद चखने का मौका मिलेगा। यहां बांस शूट करी, असम की फिश करी, नागालैंड के सूखे मांस और मिजोरम के पारंपरिक भोजन का आनंद लिया जा सकता है। ये व्यंजन न केवल स्वादिष्ट हैं, बल्कि क्षेत्रीय विविधता को भी प्रदर्शित करते हैं।
शिक्षा और संस्कृति का मेल
महोत्सव के दौरान विभिन्न शिक्षण संस्थानों द्वारा सांस्कृतिक और शैक्षिक सत्रों का आयोजन किया जाएगा। इन सत्रों में छात्रों को पूर्वोत्तर की संस्कृति, इतिहास और आर्थिक विकास की जानकारी दी जाएगी।
पर्यटन और निवेश को बढ़ावा
महोत्सव के जरिए सरकार का लक्ष्य पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटन और निवेश को बढ़ावा देना है। इस आयोजन में विभिन्न उद्योगों और निवेशकों को क्षेत्र की संभावनाओं से परिचित कराया जाएगा।
सरकारी योजनाओं की जानकारी
महोत्सव में पूर्वोत्तर के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और नीतियों की जानकारी दी जाएगी। इससे स्थानीय लोगों को योजनाओं का लाभ उठाने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय एकता का प्रतीक
अष्टलक्ष्मी महोत्सव 2024 भारत की विविधता में एकता की भावना को मजबूत करेगा। यह महोत्सव पूर्वोत्तर और शेष भारत के बीच सांस्कृतिक पुल बनाने का काम करेगा।
डिजिटल मीडिया और लाइव स्ट्रीमिंग
महोत्सव को डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर लाइव स्ट्रीम किया जाएगा, जिससे इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके। सोशल मीडिया पर #AshtalakshmiFestival2024 जैसे हैशटैग से महोत्सव की लोकप्रियता बढ़ाई जाएगी।
स्थानीय कलाकारों को पहचान
यह महोत्सव उन कलाकारों के लिए भी विशेष होगा जो अपने क्षेत्रीय स्तर पर काम कर रहे हैं और जिन्हें राष्ट्रीय मंच पर पहचान नहीं मिल पाई है। यह उनके लिए बड़ा अवसर साबित होगा।
भारत के गौरव का उत्सव
अष्टलक्ष्मी महोत्सव 2024 न केवल पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव है, बल्कि यह पूरे भारत की विविधता और एकता का प्रतीक है। यह आयोजन न केवल दर्शकों को मनोरंजन देगा, बल्कि उन्हें भारत की अद्भुत सांस्कृतिक धरोहर से भी परिचित कराएगा।
निष्कर्ष:
अष्टलक्ष्मी महोत्सव 2024 भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की सांस्कृतिक, सामाजिक, और आर्थिक विविधता का एक भव्य उत्सव है। यह आयोजन न केवल इन राज्यों की कला, संगीत, और परंपराओं को प्रदर्शित करता है, बल्कि उनके आर्थिक विकास और पर्यटन को बढ़ावा देने का माध्यम भी है। महोत्सव में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों, हस्तशिल्प प्रदर्शनी, और व्यंजनों के जरिए भारत की विविधता और एकता को जीवंत किया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए जाने वाले इस महोत्सव का उद्देश्य भारत की समृद्ध विरासत को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना और पूर्वोत्तर राज्यों के कारीगरों व उद्यमियों को नई संभावनाओं से जोड़ना है।
यह महोत्सव राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक गर्व और आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक बनकर भारत के गौरव में चार चांद लगाएगा। अष्टलक्ष्मी महोत्सव 2024 पूर्वोत्तर की समृद्धि और संभावनाओं को उजागर करने के लिए एक आदर्श मंच साबित होगा।
“यह महोत्सव न केवल पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रदर्शन है, बल्कि यह भारत की एकता और विविधता का प्रतीक है। इस आयोजन में भाग लेकर भारत की अद्भुत धरोहर का हिस्सा बनें।”