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अयोध्या और वाराणसी में नए साल 1 जनवरी 2025 पर श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व भीड़

उत्तर प्रदेश के प्रमुख धार्मिक स्थल अयोध्या और वाराणसी में नए साल का स्वागत भक्ति और आस्था के साथ किया गया। बुधवार को, नए साल के पहले दिन, दोनों स्थानों पर श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व भीड़ उमड़ी। धार्मिक उत्साह और भक्ति के इस माहौल ने न केवल स्थानीय प्रशासन को सक्रिय किया, बल्कि देश और दुनिया का ध्यान भी आकर्षित किया।

रामलला के दर्शन के लिए उमड़ा सैलाब

पिछले वर्ष 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का पूजन किया गया था। इसके बाद से राम मंदिर तीर्थयात्रियों के लिए एक प्रमुख गंतव्य बन गया है। नए साल की पूर्व संध्या पर, प्रशासन के अनुसार, दो लाख से अधिक श्रद्धालु अयोध्या पहुँच चुके थे। बुधवार की सुबह तक यह संख्या बढ़कर तीन लाख से अधिक हो गई।

सूर्योदय के समय मूर्ति का अनावरण

श्रद्धालुओं की उत्सुकता सूर्योदय के समय रामलला की मूर्ति के अनावरण के दौरान स्पष्ट रूप से देखी जा सकती थी। भक्त कतारों में खड़े होकर दर्शन की प्रतीक्षा कर रहे थे। यह अनावरण नया साल मनाने के लिए आए श्रद्धालुओं के लिए विशेष क्षण था।

काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों का सैलाब

वाराणसी में भी भक्तों का जोश चरम पर था। बुधवार को सुबह तीन बजे से ही काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में भारी भीड़ उमड़ पड़ी। दिनभर में लगभग 3.5 लाख श्रद्धालु बाबा श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए पहुँचे। यह भीड़ देर शाम तक जारी रही।

छुट्टियों में धार्मिक पर्यटन

राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि सर्दियों के मौसम और छुट्टियों के कारण आगंतुकों की संख्या अधिक थी। स्कूल, अदालतें और कृषि कार्य बंद होने के कारण लोग धार्मिक स्थलों पर पहुँच रहे थे। राय ने कहा कि गोवा, नैनीताल, शिमला और मसूरी जैसे पर्यटन स्थलों के बजाय अयोध्या अब तीर्थयात्रियों के लिए प्रमुख गंतव्य बन गया है।

प्रशासन द्वारा की गई विशेष तैयारियाँ

अयोध्या प्रशासन ने भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए शहर को कई सेक्टरों और ज़ोन में विभाजित किया। पुलिस बल की तैनाती, यातायात प्रतिबंध और चौबीसों घंटे वाहनों की जांच जैसी व्यवस्थाएँ लागू की गईं।

धर्मशालाएँ और होटलों की बुकिंग

श्रद्धालुओं की भारी संख्या के कारण शहर के होटल, धर्मशालाएँ और होमस्टे पूरी तरह से बुक हो चुके थे। मंगलवार शाम तक ही दो लाख तीर्थयात्री अयोध्या पहुँच चुके थे।

हनुमानगढ़ी मंदिर में भी भीड़

हनुमानगढ़ी मंदिर में भी दिनभर भक्तों का तांता लगा रहा। सुबह की आरती से लेकर शाम की शयन आरती तक भारी संख्या में लोग दर्शन के लिए पहुंचे।

अतिरिक्त दीर्घाओं की व्यवस्था

राम जन्मभूमि मार्ग पर प्रशासन ने 10 अतिरिक्त आगंतुक दीर्घाओं की व्यवस्था की, जिससे दर्शन के लिए लाइनों की संख्या 10 से बढ़कर 20 हो गई। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपाय किए गए।

सुरक्षा में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल

अयोध्या के पुलिस उपाधीक्षक आशुतोष तिवारी ने बताया कि शहर को सात सुरक्षा सेक्टरों और 24 जोन में विभाजित किया गया। निगरानी के लिए ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल किया गया।

काशी विश्वनाथ मंदिर में प्रबंध

वाराणसी में भीड़ को कुशलतापूर्वक नियंत्रित करने के लिए विशेष प्रबंध किए गए। मुख्य कार्यकारी अधिकारी विश्व भूषण मिश्रा ने बताया कि 28 दिसंबर से आगंतुकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही थी।

स्पर्श दर्शन पर प्रतिबंध

श्रद्धालुओं की सुगम आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए बाबा के “स्पर्श दर्शन” पर रोक लगाई गई। गर्भगृह में प्रवेश भी प्रतिबंधित कर दिया गया था।

यातायात नियंत्रण

मैदागिन से गोदौलिया मार्ग पर वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया। पुलिस ने सुनिश्चित किया कि तीर्थयात्रियों की आवाजाही सुचारू बनी रहे।

घाटों पर विशेष बलों की तैनाती

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), जल पुलिस और प्रांतीय सशस्त्र बल (पीएसी) को वाराणसी के घाटों पर तैनात किया गया। आपात स्थिति के लिए 12 त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी) तैयार रखे गए।

प्रमुख मंदिरों में सुरक्षा

बाबा काल भैरव मंदिर और संकट मोचन मंदिर समेत शहर के अन्य प्रमुख मंदिरों में भी सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की गई।

भीड़ प्रबंधन के प्रयास

काशी विश्वनाथ मंदिर में पांच सुरक्षा सेक्टर बनाए गए। 45 ड्यूटी प्वाइंट स्थापित किए गए ताकि भीड़ प्रबंधन प्रभावी ढंग से किया जा सके।

श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया

श्रद्धालुओं ने प्रशासन की व्यवस्था और धार्मिक स्थलों पर मिलने वाली सुविधाओं की प्रशंसा की। स्थानीय प्रशासन के प्रयासों ने इस विशेष अवसर को सुरक्षित और सुगम बनाया।

आस्था का पर्व

नए साल पर अयोध्या और वाराणसी में उमड़ी भीड़ यह दिखाती है कि आस्था और भक्ति का स्थान लोगों के जीवन में कितना महत्वपूर्ण है। दोनों शहरों ने एक बार फिर यह साबित किया कि वे भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक हैं।

इस अवसर पर उमड़ी भीड़ ने न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दिया, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी योगदान दिया। तीर्थयात्रियों की बड़ी संख्या ने अयोध्या और वाराणसी को धार्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में स्थापित किया है।

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