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भारत के 13 अखाड़ों की पूरी जानकारी: इतिहास, इष्ट देवता, और विशेषताएँ!

भारत में साधु-संतों की एक अनोखी परंपरा रही है, जिसमें अखाड़ों का एक विशेष स्थान है। अखाड़े साधु-संतों के धार्मिक संगठन होते हैं, जिनका उद्देश्य धर्म की रक्षा, सनातन संस्कृति का प्रचार-प्रसार, और समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना करना है। वर्तमान में भारत में कुल 13 मुख्य अखाड़े हैं, जो विभिन्न पंथों और संप्रदायों का प्रतिनिधित्व करते हैं। आइए, इन 13 अखाड़ों के नाम, उनके इष्ट देवता, इतिहास, और उनकी विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।

1. जूनापीठ अखाड़ा (Juna Akhada)

स्थापना: जूनापीठ अखाड़ा की स्थापना 7वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी।
इष्ट देवता: भगवान दत्तात्रेय और भगवान शिव।
मुख्यालय: वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत।
विशेषता: यह भारत का सबसे पुराना और सबसे बड़ा अखाड़ा माना जाता है। जूनापीठ अखाड़ा के साधु ज्यादातर अवधूत साधना करते हैं। यह अखाड़ा कुम्भ मेले में सबसे पहले शाही स्नान करता है। इसके साधु भस्म लगाकर, रुद्राक्ष की माला पहनकर और नगा साधुओं के रूप में जाने जाते हैं।

2. निर्वाणी अखाड़ा (Nirvani Akhada)

स्थापना: यह अखाड़ा 8वीं शताब्दी में स्थापित हुआ था।
इष्ट देवता: भगवान हनुमान।
मुख्यालय: अयोध्या, उत्तर प्रदेश, भारत।
विशेषता: निर्वाणी अखाड़ा रामानंद संप्रदाय से जुड़ा हुआ है। इस अखाड़े के साधु वैराग्य धारण कर भगवान राम की उपासना करते हैं। यह अखाड़ा सामाजिक सेवा कार्यों में भी सक्रिय है और राम मंदिर आंदोलन में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

3. निर्मोही अखाड़ा (Nirmohi Akhada)

स्थापना: निर्मोही अखाड़ा की स्थापना 18वीं शताब्दी में हुई थी।
इष्ट देवता: भगवान राम।
मुख्यालय: अयोध्या, उत्तर प्रदेश, भारत।
विशेषता: यह अखाड़ा अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के कारण चर्चित रहा है। निर्मोही अखाड़ा के साधु साधारण जीवन जीते हैं और समाज में धार्मिक शिक्षा का प्रचार करते हैं। यह अखाड़ा वैष्णव परंपरा का पालन करता है।

4. आह्वान अखाड़ा (Akhada Ahwan)

स्थापना: इसकी स्थापना भी आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी।
इष्ट देवता: भगवान शिव।
मुख्यालय: हरिद्वार, उत्तराखंड, भारत।
विशेषता: इस अखाड़े के साधु मुख्य रूप से तंत्र साधना और अघोर साधना में लिप्त रहते हैं। यह अखाड़ा शैव संप्रदाय का प्रमुख प्रतिनिधि है और इसके साधु कठोर तपस्या करते हैं।

5. निर्जनी अखाड़ा (Niranjani Akhada)

स्थापना: इस अखाड़े की स्थापना 904 ईस्वी में हुई थी।
इष्ट देवता: भगवान शिव।
मुख्यालय: प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत।
विशेषता: यह अखाड़ा साधु-संतों को उच्च शिक्षा प्रदान करता है। इसके कई साधु विभिन्न वेदों, पुराणों, और शास्त्रों के ज्ञाता होते हैं। यह अखाड़ा समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना के लिए काम करता है।

6. महानिर्वाणी अखाड़ा (Mahanirvani Akhada)

स्थापना: महानिर्वाणी अखाड़ा 8वीं शताब्दी में स्थापित हुआ था।
इष्ट देवता: भगवान शिव।
मुख्यालय: हरिद्वार, उत्तराखंड, भारत।
विशेषता: यह अखाड़ा सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके साधु समाज सुधार और आध्यात्मिक जागृति में भी सक्रिय रहते हैं। इसके साधु कुंभ मेले के दौरान प्रमुख शाही स्नान में भाग लेते हैं।

7. अटल अखाड़ा (Atal Akhada)

स्थापना: यह अखाड़ा 12वीं शताब्दी में स्थापित हुआ था।
इष्ट देवता: भगवान शिव।
मुख्यालय: वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत।
विशेषता: अटल अखाड़ा के साधु कठोर साधना करते हैं। यह अखाड़ा भारत के प्राचीनतम अखाड़ों में से एक है और कुम्भ मेले में प्रमुख भूमिका निभाता है। इसके साधु अद्वैत वेदांत के अनुयायी होते हैं।

8. दिगंबर अखाड़ा (Digambar Akhada)

स्थापना: दिगंबर अखाड़ा की स्थापना 16वीं शताब्दी में हुई थी।
इष्ट देवता: भगवान राम।
मुख्यालय: अयोध्या, उत्तर प्रदेश, भारत।
विशेषता: दिगंबर अखाड़ा के साधु भगवा वस्त्र धारण नहीं करते, बल्कि दिगंबर अवस्था में रहते हैं। ये साधु ब्रह्मचर्य और त्याग का पालन करते हैं और वैराग्य जीवन अपनाते हैं।

9. आनंद अखाड़ा (Anand Akhada)

स्थापना: यह अखाड़ा 17वीं शताब्दी में स्थापित हुआ था।
इष्ट देवता: भगवान कृष्ण।
मुख्यालय: वृंदावन, उत्तर प्रदेश, भारत।
विशेषता: आनंद अखाड़ा के साधु भक्तिमार्ग का अनुसरण करते हैं और समाज में प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। यह अखाड़ा वैष्णव परंपरा का पालन करता है।

10. अग्नि अखाड़ा (Agni Akhada)

स्थापना: अग्नि अखाड़ा की स्थापना भी आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी।
इष्ट देवता: भगवान शिव।
मुख्यालय: उज्जैन, मध्य प्रदेश, भारत।
विशेषता: इस अखाड़े के साधु अग्नि साधना करते हैं। यह अखाड़ा शैव संप्रदाय का महत्वपूर्ण अंग है। इसके साधु विभिन्न तांत्रिक अनुष्ठान करते हैं।

11. रामानंदी अखाड़ा (Ramanandi Akhada)

स्थापना: इस अखाड़े की स्थापना 14वीं शताब्दी में हुई थी।
इष्ट देवता: भगवान राम।
मुख्यालय: अयोध्या, उत्तर प्रदेश, भारत।
विशेषता: रामानंदी अखाड़ा वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख अखाड़ा है। इसके साधु भगवत भक्ति में लीन रहते हैं और समाज में धर्म का प्रचार करते हैं। यह अखाड़ा संत रामानंद की परंपरा का पालन करता है।

12. भारतीय अखाड़ा परिषद (Bharatiya Akhada Parishad)

स्थापना: इसकी स्थापना 1954 में हुई थी।
इष्ट देवता: सभी अखाड़ों के इष्ट देवताओं का सम्मान।
मुख्यालय: प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत।
विशेषता: भारतीय अखाड़ा परिषद सभी 13 अखाड़ों की सर्वोच्च संस्था है। यह अखाड़ों के बीच समन्वय और संगठन का कार्य करती है।

13. श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा (Shri Panchdashnam Juna Akhada)

स्थापना: यह अखाड़ा सबसे प्राचीन और सबसे बड़ा अखाड़ा है।
इष्ट देवता: भगवान दत्तात्रेय।
मुख्यालय: वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत।
विशेषता: इस अखाड़े के साधु कठोर तपस्या और ध्यान में लीन रहते हैं। यह अखाड़ा धार्मिक शिक्षा और साधना में अग्रणी है। इसके साधु समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय रहते हैं।

अखाड़ों का महत्व

अखाड़े भारतीय संस्कृति और धर्म का अभिन्न अंग हैं। ये संगठन न केवल धर्म की रक्षा करते हैं, बल्कि समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना भी करते हैं। अखाड़े कुम्भ मेले में शाही स्नान के दौरान अपनी परंपराओं का प्रदर्शन करते हैं। ये साधु समाज को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करते हैं।

महाकुंभ में अखाड़ों का महत्व

महाकुंभ में अखाड़ों की भूमिका बेहद खास होती है। अखाड़े महाकुंभ में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का प्रदर्शन करते हैं। शाही स्नान की परंपरा अखाड़ों के साधु-संतों के नेतृत्व में ही होती है। महाकुंभ में अखाड़ों का पहला शाही स्नान बहुत ही पवित्र और विशेष माना जाता है। इस दौरान अखाड़े अपने धर्मध्वज के साथ गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम पर स्नान करते हैं। शाही स्नान से आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है और लाखों श्रद्धालु इस मौके पर आशीर्वाद लेने के लिए इकट्ठा होते हैं।

अखाड़ों का समाज और देश में योगदान

अखाड़ों का समाज और देश में गहरा योगदान है। ये केवल धार्मिक संगठनों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि समाज सुधार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, और सांस्कृतिक जागरूकता के क्षेत्रों में भी सक्रिय हैं।

  1. धार्मिक जागरूकता: अखाड़े सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे धर्म, परंपराओं और मूल्यों को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाते हैं।
  2. समाज सुधार: अखाड़ों के साधु कई सामाजिक सुधार आंदोलनों में भाग लेते हैं। वे जातिवाद, छुआछूत, और बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाते हैं।
  3. शिक्षा का प्रसार: कई अखाड़े अपने आश्रमों में गुरुकुल संचालित करते हैं, जहां धार्मिक और शास्त्रीय शिक्षा दी जाती है। इसके अलावा, आधुनिक स्कूल और कॉलेज भी कई अखाड़ों द्वारा संचालित किए जाते हैं।
  4. स्वास्थ्य सेवाएं: अखाड़ों के द्वारा कई अस्पताल, आयुर्वेदिक केंद्र, और योग संस्थान संचालित किए जाते हैं। ये स्वास्थ्य सेवाओं के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करते हैं।
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