प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 के अंतिम ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। इस कार्यक्रम में उन्होंने भारतीय संविधान को ‘मार्गदर्शक प्रकाश’ बताते हुए इसके महत्व पर जोर दिया और महाकुंभ के ‘देश को एकजुट करने’ वाले संदेश का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर नागरिकों को संविधान से जोड़ने के लिए नई वेबसाइट का भी उल्लेख किया। आइए, इस विषय पर विस्तार से चर्चा करें।
भारतीय संविधान: समय की कसौटी पर खरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया था और अब यह अपने 75वें वर्ष की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने इसे एक अद्वितीय उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह समय की कसौटी पर खरा उतरा है। संविधान ने न केवल देश को एकता में बांधा है, बल्कि यह एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है। प्रधानमंत्री ने गर्व से कहा कि संविधान के कारण ही वे आज देशवासियों से संवाद कर पा रहे हैं।
संविधान दिवस और नई वेबसाइट
प्रधानमंत्री ने संविधान की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए 26 नवंबर 2024 से शुरू होने वाली एक वर्ष लंबी गतिविधियों की जानकारी दी। इस पहल का उद्देश्य नागरिकों को संविधान की विरासत से जोड़ना है। उन्होंने नई वेबसाइट “constitution75.com” का उल्लेख किया, जहां लोग संविधान की प्रस्तावना पढ़ सकते हैं और अपने वीडियो अपलोड कर सकते हैं।
इस वेबसाइट की अन्य विशेषताओं में संविधान को विभिन्न भाषाओं में पढ़ने की सुविधा, सवाल पूछने का प्रावधान और संविधान से संबंधित जानकारी प्राप्त करना शामिल है। यह वेबसाइट संविधान के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने का एक माध्यम बनेगी।
प्रयागराज महाकुंभ 2025
प्रधानमंत्री मोदी ने 2025 में प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ का जिक्र किया और इसे ‘एकता का महाकुंभ’ बताया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ का संदेश ‘पूरे देश को एकजुट करना’ है। प्रधानमंत्री ने कुछ दिन पहले प्रयागराज दौरे का अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने हेलीकॉप्टर से महाकुंभ के आयोजन स्थल को देखा और उसकी विशालता और सुंदरता से प्रभावित हुए।
महाकुंभ की भव्यता और विविधता
प्रधानमंत्री ने महाकुंभ की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए कहा कि इसकी विशालता और विविधता इसे दुनिया में अद्वितीय बनाती है। इसमें करोड़ों लोग शामिल होते हैं, जिनमें लाखों पुजारी, समुदाय और अखाड़े अपनी भूमिका निभाते हैं। महाकुंभ भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक है, जहां किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता। यह आयोजन ‘विविधता में एकता’ का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है।
महाकुंभ 2025 की तैयारियां
प्रधानमंत्री ने महाकुंभ की तैयारियों की चर्चा करते हुए कहा कि इस बार डिजिटल तकनीकों का व्यापक उपयोग किया जाएगा। श्रद्धालुओं के लिए डिजिटल नेविगेशन सिस्टम की व्यवस्था होगी, जिससे वे विभिन्न घाटों, मंदिरों और अखाड़ों तक आसानी से पहुंच सकेंगे। इसके अलावा, एआई चैटबॉट की सहायता से 11 भारतीय भाषाओं में महाकुंभ से जुड़ी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।
एआई संचालित कैमरों का उपयोग
प्रधानमंत्री ने बताया कि महाकुंभ क्षेत्र को एआई संचालित कैमरों से कवर किया जाएगा। ये कैमरे सुरक्षा और प्रबंधन को बेहतर बनाने में सहायक होंगे। उन्होंने इसे आधुनिक तकनीक का उत्कृष्ट उपयोग बताया, जो श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
विश्व दृश्य-श्रव्य एवं मनोरंजन शिखर सम्मेलन
प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि भारत अगले वर्ष पहली बार विश्व दृश्य-श्रव्य एवं मनोरंजन शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा। उन्होंने इसे देश को ‘वैश्विक सामग्री-निर्माण केंद्र’ में बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह शिखर सम्मेलन भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा प्रदान करेगा।
पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य
प्रधानमंत्री मोदी ने पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य पर जोर देते हुए कहा कि भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने इसे देश के उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ने का प्रतीक बताया।
महाकुंभ का सांस्कृतिक महत्व
महाकुंभ का सांस्कृतिक महत्व भारतीय परंपराओं और मूल्यों को सुदृढ़ करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह सांस्कृतिक विविधता और एकता का उत्सव भी है।
डिजिटल युग में परंपराओं का समावेश
महाकुंभ 2025 के आयोजन में डिजिटल तकनीक का समावेश भारतीय परंपराओं और आधुनिकता के संगम का प्रतीक है। यह पहल भारत की तकनीकी क्षमताओं को प्रदर्शित करती है और इसे वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाती है।
नागरिकों के लिए नई पहल
प्रधानमंत्री ने संविधान और महाकुंभ के माध्यम से नागरिकों को भारतीय मूल्यों और परंपराओं से जोड़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि ये पहलें भारत की सांस्कृतिक और लोकतांत्रिक विरासत को सुदृढ़ करेंगी।
युवाओं को जागरूक करने की अपील
प्रधानमंत्री ने युवाओं से संविधान और महाकुंभ जैसे विषयों पर अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने और इसे दूसरों तक पहुंचाने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम आने वाली पीढ़ियों को अपनी विरासत से अवगत कराएं।
प्रधानमंत्री का संदेश
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय संविधान और महाकुंभ दोनों ही देश की आत्मा को प्रतिबिंबित करते हैं। उन्होंने इन दोनों पहलुओं को ‘विविधता में एकता’ का प्रतीक बताया और देशवासियों से इनका सम्मान करने की अपील की।
डिजिटल इंडिया की दिशा में कदम
प्रधानमंत्री ने संविधान और महाकुंभ से जुड़ी डिजिटल पहलों को ‘डिजिटल इंडिया’ की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि ये पहलें देश को तकनीकी रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होंगी।
वैश्विक मंच पर भारत की पहचान
महाकुंभ और विश्व दृश्य-श्रव्य एवं मनोरंजन शिखर सम्मेलन जैसी पहलें भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाएंगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये कार्यक्रम भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक शक्ति का प्रतीक हैं।
संविधान की प्रस्तावना का महत्व
प्रधानमंत्री ने नागरिकों से संविधान की प्रस्तावना पढ़ने और इसे आत्मसात करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह हमारे अधिकारों और कर्तव्यों को समझने का माध्यम है।
महाकुंभ की तैयारी में जनभागीदारी
प्रधानमंत्री ने महाकुंभ की तैयारियों में जनभागीदारी पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह आयोजन जनता का उत्सव है और इसकी सफलता में सभी की भागीदारी महत्वपूर्ण है।
सांस्कृतिक और आर्थिक प्रगति का मेल
महाकुंभ और संविधान दिवस जैसी पहलें भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक प्रगति को एक साथ प्रस्तुत करती हैं। प्रधानमंत्री ने इसे ‘नए भारत’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम ने 2024 का समापन सकारात्मक संदेशों के साथ किया। भारतीय संविधान और महाकुंभ जैसे विषयों पर चर्चा ने देशवासियों को अपनी सांस्कृतिक और लोकतांत्रिक जड़ों से जोड़ने का प्रयास किया। यह कार्यक्रम न केवल भारतीय परंपराओं का सम्मान करता है, बल्कि भविष्य की दिशा में एक मजबूत कदम भी है।