spot_img
Homeबड़ी खबरेंडिजिटल महाकुंभ: मेला क्षेत्र में 50,000 बिजली के खंभों पर क्यूआर कोड...

डिजिटल महाकुंभ: मेला क्षेत्र में 50,000 बिजली के खंभों पर क्यूआर कोड से कैसे हो रही है भूले-भटकों की मदद?

डिजिटल महाकुंभ मेला एक अद्भुत पहल है जो तकनीक की मदद से श्रद्धालुओं को सुरक्षा और सुविधा प्रदान कर रहा है। हर बार महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं और भीड़ के कारण लोग एक-दूसरे से बिछड़ जाते हैं। इस बार डिजिटल तकनीक के जरिए मेला प्रशासन ने एक खास समाधान पेश किया है। पूरे मेला क्षेत्र में 50,000 से अधिक बिजली के खंभों पर क्यूआर कोड लगाए गए हैं, जिनकी मदद से लोग अपनी लोकेशन जान सकते हैं और अपनों से मिल सकते हैं। आइए जानते हैं इस डिजिटल महाकुंभ की पूरी जानकारी।

Table of Contents

1. डिजिटल क्यूआर कोड सिस्टम क्या है?

डिजिटल महाकुंभ के तहत बिजली विभाग ने मेला क्षेत्र में 50,000 बिजली के खंभों पर क्यूआर कोड लगाए हैं। यह क्यूआर कोड किसी भी स्मार्टफोन से स्कैन किया जा सकता है। स्कैन करने पर एक फॉर्म खुलता है, जिसमें व्यक्ति को अपना नाम, मोबाइल नंबर और खंभे का नंबर भरना होता है। इस जानकारी को सबमिट करने के बाद बिजली विभाग के कंट्रोल रूम से तुरंत कॉल आता है और व्यक्ति को उसकी भौगोलिक स्थिति बताई जाती है।

2. डिजिटल तकनीक से कैसे हो रहा है मददगार मेला?

डिजिटल महाकुंभ में क्यूआर कोड सिस्टम का संचालन बिजली विभाग के कंट्रोल रूम द्वारा किया जा रहा है। जब कोई व्यक्ति क्यूआर कोड स्कैन करता है और फॉर्म भरकर सबमिट करता है, तो बिजली विभाग के अधिकारी उस व्यक्ति की लोकेशन की पुष्टि करते हैं। इसके बाद अधिकारी व्यक्ति को उसके गंतव्य तक पहुंचने का सही रास्ता बताते हैं।

3. डिजिटल महाकुंभ में क्यूआर कोड से भूले-भटकों को कैसे मिलाया जा रहा है?

डिजिटल महाकुंभ में हजारों लोग अपने परिवार से बिछड़ जाते हैं। ऐसे मामलों में डिजिटल क्यूआर कोड सिस्टम बेहद मददगार साबित हो रहा है। जैसे ही कोई व्यक्ति बिछड़े हुए व्यक्ति के खंभे का नंबर जानता है, वह उसे क्यूआर कोड या जी-कोड के जरिए ट्रैक कर सकता है।

4. बिजली विभाग की डिजिटल तत्परता

डिजिटल महाकुंभ में बिजली विभाग की भूमिका इस बार सिर्फ बिजली आपूर्ति तक सीमित नहीं है। विभाग का कंट्रोल रूम 24 घंटे सक्रिय है। पीटीआई-भाषा द्वारा किए गए परीक्षण के दौरान यह देखा गया कि क्यूआर कोड स्कैन करने के एक मिनट के भीतर कंट्रोल रूम से कॉल आया और व्यक्ति की लोकेशन साझा की गई। इस डिजिटल तत्परता के कारण कई भूले-भटके लोग सही समय पर अपने परिजनों से मिल पा रहे हैं।

5. डिजिटल महाकुंभ में क्यूआर कोड से बिछड़े पिता को बेटे से मिलाने की कहानी

मंगलवार को मकर संक्रांति स्नान पर्व के दौरान चंडीगढ़ से आए एक व्यक्ति मोहित के पिता उनसे बिछड़ गए थे। मोहित ने एक व्यक्ति के माध्यम से खंभे की संख्या पता की और बिजली विभाग को जानकारी दी। विभाग ने तुरंत मोहित को उनके पिता की लोकेशन बताई और कुछ ही समय में दोनों एक-दूसरे से मिल गए। यह डिजिटल पहल लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

6. डिजिटल कैंप की शुरुआत

इस बार डिजिटल महाकुंभ में भूले-भटकों के लिए डिजिटल कैंप भी लगाए गए हैं। इन कैंपों में लोग अपनी समस्या दर्ज करा सकते हैं। इसके अलावा, क्यूआर कोड और जीआईएस तकनीक के माध्यम से लोग खुद ही अपनी स्थिति का पता कर सकते हैं।

7. जीआईएस तकनीक से लोकेशन ट्रैकिंग

बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता मनोज गुप्ता ने बताया कि इस बार महाकुंभ में जीआईएस (भौगोलिक सूचना प्रणाली) का उपयोग किया जा रहा है। क्यूआर कोड को स्कैन करने पर व्यक्ति की लोकेशन जीआईएस के जरिए पता लगाई जाती है। यह डिजिटल तकनीक न सिर्फ भूले-भटकों को मिलाने में मदद कर रही है, बल्कि अन्य समस्याओं का समाधान भी कर रही है।

8. डिजिटल तकनीक से अन्य समस्याओं का समाधान

क्यूआर कोड सिस्टम के जरिए लोग अन्य समस्याएं भी दर्ज करवा सकते हैं। जैसे पानी की कमी, सड़क की खराब स्थिति, शीट उखड़ने जैसी समस्याओं को भी संबंधित विभाग तक पहुंचाया जा रहा है। विभाग पोल संख्या के आधार पर समस्या की लोकेशन तक पहुंचता है और उसका समाधान करता है।

9. इमरजेंसी नंबर से जुड़ा डिजिटल सिस्टम

बिजली विभाग ने इस डिजिटल क्यूआर कोड सिस्टम को डायल 112 और डायल 1920 से भी जोड़ा है। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति इमरजेंसी में होता है, तो उसे तुरंत मदद मिल सकती है।

10. लाखों श्रद्धालुओं के लिए डिजिटल वरदान

महाकुंभ के प्रथम अमृत स्नान पर्व पर लगभग 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में आस्था की डुबकी लगाई। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु होने के कारण कई लोग अपने परिवार से बिछड़ गए थे। डिजिटल क्यूआर कोड सिस्टम ने ऐसे कई मामलों में लोगों को उनके परिवार से मिलाने का काम किया।

11. डिजिटल सुरक्षा और सहायता

डिजिटल क्यूआर कोड सिस्टम न सिर्फ भूले-भटकों को राह दिखा रहा है, बल्कि यह सुरक्षा व्यवस्था को भी मजबूत बना रहा है। किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी भी इस सिस्टम के जरिए आसानी से संबंधित अधिकारियों तक पहुंचाई जा सकती है।

12. मेला प्रशासन की डिजिटल पहल

महाकुंभ प्रशासन ने इस बार मेले को डिजिटल बनाने की पूरी तैयारी की है। प्रशासन का मानना है कि डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल कर मेले की व्यवस्था को और बेहतर बनाया जा सकता है। क्यूआर कोड सिस्टम इसका एक बेहतरीन उदाहरण है।

13. डिजिटल नक्शे के जरिए मेला क्षेत्र की निगरानी

डिजिटल क्यूआर कोड सिस्टम के तहत मेला क्षेत्र का पूरा नक्शा डिजिटल किया गया है। इस नक्शे में हर पोल का नंबर और उसकी लोकेशन दर्ज है। यह नक्शा न सिर्फ श्रद्धालुओं की मदद कर रहा है, बल्कि प्रशासन को भी मेला क्षेत्र की निगरानी में सहायक हो रहा है।

14. श्रद्धालुओं की सकारात्मक प्रतिक्रिया

श्रद्धालुओं ने इस डिजिटल पहल की सराहना की है। उनका कहना है कि डिजिटल महाकुंभ के तहत किए गए इस प्रयास से वे न सिर्फ सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, बल्कि उनकी यात्रा भी सुगम हो रही है।

15. भविष्य के लिए भी डिजिटल प्रणाली कारगर

यह डिजिटल क्यूआर कोड प्रणाली भविष्य में भी बड़े आयोजनों के दौरान बेहद कारगर साबित हो सकती है। अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है।

16. कैसे स्कैन करें डिजिटल क्यूआर कोड?

किसी भी स्मार्टफोन से क्यूआर कोड स्कैन करने के लिए फोन के कैमरा ऐप का इस्तेमाल करें। कोड को स्कैन करते ही एक लिंक खुलेगा। इस लिंक पर क्लिक करें और फॉर्म भरकर सबमिट करें। कुछ ही मिनटों में आपको मदद मिल जाएगी।

17. डिजिटल युग में कदम बढ़ाता महाकुंभ

महाकुंभ अब डिजिटल युग में कदम रख चुका है। डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल से न सिर्फ मेले की व्यवस्था बेहतर हो रही है, बल्कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो रही है।

18. निष्कर्ष

डिजिटल महाकुंभ में बिजली के खंभों पर लगाए गए क्यूआर कोड न सिर्फ भूले-भटकों को मिलाने में मदद कर रहे हैं, बल्कि यह तकनीक सुरक्षा और सहायता के अन्य पहलुओं में भी कारगर साबित हो रही है। यह पहल अन्य बड़े आयोजनों के लिए एक बेहतरीन उदाहरण पेश कर रही है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

error: Content is protected !!